यूपी के बागपत में सत्यपाल मलिक की 300 साल पुरानी हवेली हुई सूनी, गांव के लोगों ने यूं किया अपने बेटे को याद

by Carbonmedia
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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन के बाद उनके पैतृक गांव हिसावदा में शोक की लहर छा गई है. गांव के लोगों का कहना है कि उनके बीच से अच्छी छवि का नेता चला गया है इसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है. गांव में सत्यपाल मलिक की 300 साल पुरानी हवेली आज भी मौजूद है. सत्यपाल मलिक का परिवार तो गांव में नहीं रहता था, लेकिन उसके कुटुंब के लोग आज भी गांव में रहते हैं. परिवार के लोगों का कहना है कि राज्यपाल से सेवानिवृत्त होने के बाद वह वर्ष 2023 में गांव में आए थे और सभी से मिलकर अपनी पुरानी यादों को ताजा किया था.
सत्यपाल मलिक के रिश्ते के भतीजे अमित मलिक बताते हैं कि उनके चाचा गांव में ही प्राइमरी पाठशाला में पढ़े और कक्षा पांच पास करने के बाद वह पड़ौसी गांव ढिकौली चले गए वहां पर एमजीएम इंटर कालेज में कक्षा छह से 12 कक्षा तक की शिक्षा हासिल की. वह गांव में अपने साथियों के साथ साइकिल पर जाया करते थे. 12वीं पास करने के बाद वह मेरठ कालेज मेरठ चले गए, वहां पर उन्होंने ग्रेजुएन की पढ़ाई पूरी की.
रिश्ते के भतीजे मनीष का कहना है कि सत्यपाल मलिक अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे. उनकी गांव में 300 साल पुरानी हवेली आज भी मौजूद है. सत्यपाल मलिक का बेटा देव कबीर मलिक और उनकी पत्नी दिल्ली में रहती है. सत्यपाल मलिक खुशदिल इंसान और अच्छ छवि वाले थे. उन्होंने कभी गलत का साथ नहीं दिया और कभी अपने गांव को नहीं भूले. गांव के लोग जब भी उनके पास जाया करते थे तो वह उन्हें भरपूर सम्मान दिया करते थे.
रिश्ते के भाई ज्ञानेंद्र ने बताया कि राज्यपाल से सेवानिवृत्त होने के बाद वह फरवरी वर्ष 2023 में गांव में आए थे, तब गांव में एक चौपाल का अायोजन हुआ था. उस समय उन्होंने कहा था कि हमेशा उन्होंने किसान और मजदूर की आवाज को बुलंद किया था. गांव गांव के हर वर्ग के लोगों से मिले थे और अपनी पुरानी यादों को ताजा किया था. वर्ष 1972 में गांव हिसावदा रहते ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पार्टी से बागपत विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव लड़ा था, जिसमें वह विजयी हुए थे.
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हिसावदा गांव में शोक की लहर
सत्यपाल मलिक के निधन का समाचार जैसे ही हिसावदा गांव में पहुंचा तो लोगों में शोक की लहर छा गई. हर किसी ने कहा कि उनके बीच से एक अच्छी छवि का नेता चला गया, जिसकी क्षतिपूर्ति होना मुश्किल है. हालांकि परिवार के लोग निधन की सूचना पर दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं.
मिलनसार थे सत्यपाल मलिक
विनोद, राजपाल आदि लोग बताते हैं कि सत्यपाल मलिक काफी मिलनसार थे. वह बचपन में सभी से मिलजुलकर रहा करते थे. जब भी गांव में आया करते थे तो हर वर्ग के लोगों से मिला करते थे और हालचाल जाना करते थे.

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