UP News: उत्तर प्रदेश के बस्ती के कप्तानगंज स्थित मदरसा अहले सुन्नत फैजुन्नवी में नियुक्तियों को लेकर एक बड़ा और सनसनीखेज मामला सामने आया है. मदरसे के वर्तमान प्रबंधक मुनीर अली पर अपने पद का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर परिवारवाद और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है. यह शिकायत अब सीधे जिलाधिकारी बस्ती के कार्यालय से लखनऊ में बैठे यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री तक पहुँच गई है, जिसमें इस पूरे प्रकरण की गहन जाँच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की माँग की गई है. आरोप है कि मदरसे के अंदर जबरन प्रबंधक ने अपने पिता की कब्र बनवा दी है, इतना ही नहीं मदरसा बंजर की जमीन पर निर्मित है मगर जिम्मेदारों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हो रही.
इसी मदरसे के शिक्षक गुलाम अली ने इस पूरे गड़बड़झाले से पर्दा उठते हुए शिकायत की है जिसमें आरोप है कि यह मदरसा राज्य से अनुदान प्राप्तकर्ता है और इसी के तहत इसमें विभिन्न पदों पर नियुक्तियाँ होनी थीं. मदरसे के वर्तमान प्रबंधक, हाजी मुनिर अली ने अपने पद का लाभ उठाते हुए खुलेआम भाई-भतीजावाद को जमकर बढ़ावा दिया. उन्होंने निर्धारित पदों में से पांच पद के अलग-अलग विषयों के शिक्षकों की भर्ती के बजाए अपने ही 5 दामादों को नियुक्त कर लिया. इन दामादों के नाम मोहम्मद बहार शाह, अब्दुल मुकतदिर, साजिद अली, मोहम्मद अब्बास और मोहम्मद अकरम बताए जा रहे हैं. इतना ही नहीं शिकायत में यह भी कहा गया है कि शेष पदों पर भी प्रबंधक ने अपने ही सगे-संबंधियों को नियुक्ति देकर मदरसे को एक निजी परिवारिक संस्था में बदल दिया है.
शिकायतकर्ता और शिक्षक गुलाम अली ने आरोप लगाया है कि यह नियुक्तियाँ मदरसा सेवा नियमावली का सीधा उल्लंघन हैं. नियमावली स्पष्ट रूप से प्रबंधक को अपने सगे-संबंधियों की नियुक्ति करने से रोकती है, ताकि निष्पक्षता बनी रहे और योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिल सके. हाल ही में योगी सरकार की सख्ती के बाद रजिस्ट्रार की तरफ से पूरे प्रदेश में एक शासनादेश जारी किया गया है कि सभी मदरसों की जांच हो और कही भी प्रबंधक के किसी भी रिश्तेदार अगर नियुक्त पाए जाते है तो उसकी जानकारी शासन को भेजे ताकि कार्यवाही की जा सके.
आरोप है कि नियमों की इस बाध्यता से बचने के लिए प्रबंधक हाजी मुनिर अली ने एक सुनियोजित तरीके से धोखाधड़ी को अंजाम दिया. उन्होंने कथित तौर पर वर्ष 2008 में अपने पद से त्याग पत्र देने का दिखावा किया. वह भी एक साधारण कागज पर और बिना किसी औपचारिक बैठक प्रस्ताव या पंजीकृत सदस्यों की सूची के. इसके बाद, प्रबंध सूची में कूटरचना करके इन नियुक्तियों को वैध दिखाने का प्रयास किया गया। ये सारी नियुक्तियां वर्ष 2008 से 2010 के बीच की गई थी, जबकि एक नियुक्ति वर्ष 2016 में की है, जिसकी शिकायत लगातार की जा रही मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े ही आज तक दौड़ाए गए.
दामादों सहित कुल 15 नियुक्तियाँ फर्जी तरीके से कराने का आरोप
वहीं सबसे गंभीर आरोप यह है कि जिस समय प्रबंधक ने दामादों की नियुक्ति की उस समय मदरसे के खजांची के पद पर तैनात मोहम्मद अली के कथित तौर पर फर्जी हस्ताक्षर करवाए गए. फिर बिना किसी कानूनी अधिकार के उनके हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया. इसी आधार पर प्रबंधक के सभी दामादों सहित कुल 15 नियुक्तियाँ कथित तौर पर फर्जी तरीके से करवा ली गईं. यह धोखाधड़ी न केवल प्रशासनिक स्तर पर हुई है, बल्कि कानूनी रूप से भी बेहद गंभीर मानी जा रही है.
इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब मोहम्मद अली, जिनका नाम इन नियुक्तियों में इस्तेमाल किया गया. उन्होंने स्वयं कई बार शपथ पत्र प्रस्तुत किए. उन्होंने जिलाधिकारी बस्ती, जिला अल्पसंख्यक कल्याण महोदय बस्ती, सहायक रजिस्ट्रार, चिट्स फंड गोरखपुर और उपजिलाधिकारी हरैया बस्ती जैसे उच्च अधिकारियों को लिखित में यह स्पष्ट किया है कि जिस समय ये विवादित नियुक्तियाँ हुईं. उस समय वे प्रबंधक के पद पर नहीं थे, बल्कि केवल खजांची के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने अपनी प्रबंधक की वास्तविक अवधि का भी उल्लेख किया है, जो कथित फर्जीवाड़े की अवधि से भिन्न है.
शिकायतकर्ता का दावा है कि मोहम्मद अली के शपथ पत्रों और अन्य पुख्ता साक्ष्यों व सबूतों के बावजूद, प्रबंधक मुनिर अली और उनके दामादों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. बल्कि नियमों के विरुद्ध इन नियुक्तियों के आधार पर उन्हें लगातार वेतन का भुगतान किया जा रहा है. यह स्थिति न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि सरकारी धन के दुरुपयोग की ओर भी इशारा करती है. बीजेपी नेता राजेन्द्रनाथ तिवारी ने भी इस पूरे प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री से करते हुए जांच की मांग की है.
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने जांच टीम गठित करने का कही बात
इस गंभीर अनियमितता के खुलासे के बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अमित सिंह ने जांच टीम गठित करने की बात कही है. उन्होंने बताया कि शासनादेश के अनुसार किसी भी मदरसे के प्रबंधक अपने किसी रिश्तेदार की नियुक्ति नहीं कर सकते, उपरोक्त मदरसे के बारे में शिकायत मिली है जिसकी जांच कर उचित और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
यूपी सरकार के मंत्री ने दिया जांच और कार्रवाई का आश्वासन
यूपी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के संज्ञान मे जब यह प्रकरण आया तो वे भौचक्के रह गए. यूपी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि एक मदरसे में प्रबंधक ने अपने एक दो नहीं बल्कि पांच पांच दामादों की नियुक्ति करना बेहद गंभीर विषय है, कहा ऐसी ही नियुक्तियों को रोकने के लिए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है. इस मामले की भी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी.
मदरसे के प्रबंधक ने आरोपों को किया खारिज
वहीं मदरसे के प्रबंधक मुनीर अली से जब बात कर उनका पक्ष लिया गया तो उन्होंने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और शिकायतकर्ता की मनसा को ही कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि गुलाम अली उनके मदरसे में फर्जी तरीके से शिक्षक बन गए थे. जब इसकी जांच कराई गई तो उनका अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी मिला, उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई तो वे अब उनके ऊपर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. वही दामादों की नियुक्ति को लेकर प्रबंधक ने कहा जब उनके दामादों की नियुक्ति हुई तो वे इस्तीफा दे दिए थे और नियुक्ति के बाद दुबारा वे प्रबंधक बन गए.
यूपी के मदरसे में ‘दामाद भर्ती’ घोटाला? शिक्षक की शिकायत के बाद खुला पूरा मामला
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