UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को खनन विभाग की समीक्षा बैठक में साफ कहा कि उत्तर प्रदेश अब पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम खनन व्यवस्था का मॉडल बन चुका है. खनन सिर्फ रेत बालू निकालने का काम नहीं रहा बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और रोज़गार के लिए एक मज़बूत आधार बन चुका है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बाकी बचे सभी सुधार तय समय में पूरे किए जाएं जिससे उत्तर प्रदेश स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (SMRI) में कैटेगरी-A वाला राज्य बन सके.
बैठक में बताया गया कि 2025-26 के पहले दो महीनों में ही खनिज राजस्व 623 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जो पिछले साल की पूरी कमाई 608 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है. यानी खनन विभाग तेज़ी से तरक्की कर रहा है. 2021 से 2025 तक हर साल औसतन 18% की बढ़त दर्ज की गई है.मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन में सुधार की वजह से बड़ी कंपनियां जैसे अडानी ग्रुप, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू और अल्ट्राटेक सीमेंट उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर गंभीर हैं. सरकार की साफ-सुथरी नीतियों से इन कंपनियों का भरोसा बढ़ा है.
21 हजार से ज्यादा वाहन ब्लैकलिस्टमुख्यमंत्री ने बताया कि अवैध खनन रोकने के लिए अब तक 21,000 से ज़्यादा वाहन ब्लैकलिस्ट किए जा चुके हैं. 57 तकनीकी चेकपोस्ट, व्हाइट टैगिंग, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) और कलर कोडिंग जैसी तकनीकों से हर वाहन पर निगरानी रखी जा रही है. सिर्फ GPS वाले वाहन ही अब खनिज ढुलाई कर सकेंगे. उन्होंने साफ किया कि नदी के कैचमेंट क्षेत्र में किसी भी हालत में खनन की इजाज़त नहीं दी जाएगी और यदि कोई नियम तोड़ेगा तो जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई तय होगी.
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन सर्वे और सैटेलाइट सिस्टम से 99 नई खनन साइटें पहचानी गईं जिनमें से 23 उपयुक्त मिली हैं. 52 अन्य जगहों पर बालू मौरंग के भंडार का भी वैज्ञानिक आकलन किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब खनन का मूल्यांकन सिर्फ अंदाज़े से नहीं बल्कि वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस से होगा. ईंट भट्ठों के क्षेत्र में भी अब तक 258 करोड़ रुपये से ज़्यादा का राजस्व मिल चुका है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भट्ठा संचालकों से सीधा संवाद हो और तकनीक का इस्तेमाल करके इस क्षेत्र को भी पारदर्शी और नियोजित बनाया जाए.
सीएम योगी ने दिए निर्देशमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मानसून काल में ही उपखनिज पट्टों का आवंटन पूरा कर लिया जाए ताकि 15 अक्टूबर से खनन सुचारु रूप से शुरू हो सके. साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि जिला खनन निधि (DMF) का उपयोग आंगनबाड़ी केंद्र खेल मैदान स्वास्थ्य सेवाएं जल संरक्षण जैसे कामों में प्राथमिकता से किया जाए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 के बाद से खनन क्षेत्र में पारदर्शिता नीलामी प्रक्रिया और तकनीकी निगरानी पर खास ज़ोर दिया है. इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है बल्कि राजस्व में भी बड़ा इज़ाफा हुआ है. पहले जहां खनन एक विवादित और अवैध गतिविधियों से जुड़ा क्षेत्र माना जाता था वहीं अब यह प्रदेश के औद्योगिक विकास और निवेश आकर्षण का मुख्य आधार बनता जा रहा है.
यूपी में अवैध खनन पर योगी सरकार की पैनी नजर, 21 हजार से ज्यादा वाहन ब्लैकलिस्ट
1