Kushinagar News: एक दौर ऐसा भी है, जहां रिश्ते औपचारिकताओं में सिमटने लगे हैं. आधुनिक कुछ पत्नियां अपने प्रेमी के चक्कर में पतियों की हत्या कर दे रही हैं तो कुछ उनके साथ फरार हो जा रही हैं. लेकिन कुशीनगर जनपद के पकडियार गांव की रहने वाली अनिता गुप्ता ने प्रेम, नारीशक्ति और त्याग की ऐसी मिसाल कायम की है, जिसे इतिहास के रूप में बरसों याद रखेगा. पति गणेश गुप्ता की जान बचाने के लिए अनिता ने अपनी एक किडनी दान कर दी. अनीता ने किडनी देकर न केवल अपने पति को ज़िंदगी दी, बल्कि रिश्तों की परिभाषा को भी फिर से ज़िंदा कर दिया है.
कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के पकड़ियार गांव के रहने वाले गणेश गुप्ता की तबियत अचानक वर्ष 2024 में खराब हो गई. डाक्टरों का चक्कर लगाने के बाद जांच में सामने आया कि गणेश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. साथ ही डॉक्टरों ने कहा कि अगर इनकी जिंदगी बचानी है तो तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट ज़रूरी है. लेकिन कुदरत की मार देखिए इस घर में न तो कोई डोनर था और न ही परिवार के पास पैसा ही था. डाक्टरों ने इलाज का कुल खर्च 20 लाख रुपए बताया था.
गिरबी रखनी पड़ी जमीनअनीता ने अपने पति के इलाज के लिए खेती की जमीन गिरवी रख दी. लेकिन इतने पैसे खर्च करने के बाद भी परिवार के सामने अंधकार ही दिखाई दे रहा था.. लेकिन तभी गणेश की पत्नी अनिता ने डाक्टर से बात की कि क्या वह अपने पति को अपनी एक किडनी डोनेट कर सकती है. डाक्टरों ने समझाया कि किडनी के बाद भी पैसे लगेंगे लेकिन वह अपने पति को हद से ज्यादा प्यार करती थी. वह अपने फैसले पर अडिग रही. फिर डाक्टरों ने 22 जुलाई 2024 से मेडिकल जांचें शुरू कराईं.
टेस्ट के बाद अनीता अपने पति को किडनी डोनेट करने के लिए उपर्युक्त पाई गई. उसके बाद 4 मई 2025 को लखनऊ के चंदन हॉस्पिटल में सफल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. आज दोनों स्वस्थ हैं और इनकी ज़िंदगी में फिर से नई सुबह लौट आई है. गणेश के इलाज में कुल 20 लाख रुपए का का खर्च आया है. इनके इलाज में मुख्यमंत्री राहत कोष से 6.5 लाख की मदद मिली है. गरीबी के कारण अभी भी परिवार आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है लेकिन गणेश के स्वस्थ हो जाने से उनके चेहरे पर प्रेम और संतोष की मुस्कान है.
पति को किडनी देने के बाद अनीता ने क्या कहा?पति को किडनी डोनेट करने वाली अनीता ने बताया कि मेरे लिए मेरे पति ही सबकुछ हैं. जब उनकी तबियत खराब हुई तो उस समय और कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. अगर मैं किडनी डोनेट नहीं करती तो शायद वह नहीं बच पाते. मुझे ईश्वर ने शक्ति दी और उसी ने प्रेरणा दी कि पति अगर नहीं रहेंगे तो तुम अकेले रहकर क्या करोगी. उसके बाद मैने अपनी एक किडनी डोनेट करने का फैसला किया. आज वह स्वस्थ होकर घर आ गए हैं. अब हम लोग एकदम खुश हैं.
गणेश भी अपनी पति के इस कार्य की सराहना कर रहे है. वह बताते हैं कि मेरे लिए तो मेरी पत्नी एक तरह से मेरी मां बन गई है. एक मां ही है जो अपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकती है. मेरी पत्नी ने अपनी एक किडनी डोनेट करके मुझे नया जीवन दिया है.
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