UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में 1 जुलाई को पहुंची पंखुड़ी का दाखिला हो गया है. वो 7 जुलाई को स्कूल पहुंची और अधिकारियों की उपस्थिति में उसका प्रवेश करा दिया गया. पिता के एक्सीडेंट के बाद आर्थिक स्थित ठीक नहीं होने पर पंखुड़ी मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंची थी. उसे सीएम योगी ने एडमिशन कराने और फीस माफ करने का वादा किया था.
शिक्षा विभाग की ओर से 5 जुलाई को पत्र जारी कर दिया गया. इसके पहले पिता के साथ स्कूल पहुंची पंखुड़ी को स्कूल ने फीस माफ नहीं करने का फरमान सुना दिया था. इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसने के साथ पंखुड़ी की फीस भरने की पेशकश की थी, जिसे उसके परिवार ने ठुकरा दिया था.
गोरखपुर के पुर्दिलपुर की रहने वाली पंखुड़ी त्रिपाठी का सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग में कक्षा 7 में दाखिला हो गया है. सोमवार 7 जुलाई को चेहरे पर खुशी लिए बाकायदा स्कूल ड्रेस में पिता राजीव त्रिपाठी के साथ स्कूल पहुंची. दो दिन पहले शनिवार को पंखुड़ी को स्कूल के प्रधानाचार्य ने ये कहकर वापस भेज दिया था कि उसकी फीस माफ नहीं हो पाएगी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए पंखुड़ी की फीस भरने का ऑफर दिया था. पंखुड़ी और उसके परिवार ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था.
उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताया था. 1 जुलाई को ही पंखुड़ी पिता राजीव त्रिपाठी के साथ मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गई थी. वहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसे विश्वास दिलाया था कि फीस के अभाव में उसकी पढ़ाई बाधित नहीं होगी.
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज सकते हुए कहा था कि वादा करके निभाते नहीं है, तो वादा क्यों करते हैं. इसके बाद इस मामले में सियासत गरमा गई थी. हालांकि बीएसए रमेन्द्र कुमार सिंह ने शनिवार 5 जुलाई को ही विद्यालय के प्रधानाचार्य को संबोधित पत्र लिखकर पंखुड़ी त्रिपाठी को प्रवेश देने और फीस माफ करने का पत्र जारी कर दिया था.
मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में आए इस प्रकरण के संदर्भित होने के बाद प्रशासन और शिक्षा विभाग ने सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग के प्रबंधन से संपर्क किया और पंखुड़ी त्रिपाठी की फीस माफ करवाई. साथ ही पंखुड़ी को बताया कि वह सोमवार से स्कूल जाए.
पंखुड़ी आज स्कूल यूनिफॉर्म पहने स्कूल पहुंची और कक्षा सात वर्ग बी में उसकी पढ़ाई शुरू हो गई. सोमवार को एडीआईओएस नरेन्द्र सिंह ने गोरखपुर के सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग पहुंचकर पंखुड़ी को प्रवेश दिलाया. उन्होंने बताया कि पंखुड़ी त्रिपाठी मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में अपने पिता के साथ गई थी. आज की तारीख में उसका प्रवेश हो गया है. वो शिक्षा ग्रहण कर रही है. प्रत्यावेदन पर विभाग ने पूरी तरह से त्वरित कार्रवाई करते हुए उसका प्रवेश करा दिया है. पंखुड़ी सरस्वती शिशु मंदिर (इंग्लिश मीडियम) पक्की बाग में कक्षा सात में पढ़ती है. जनता दर्शन में उसने मुख्यमंत्री से कहा था, “महाराज जी, मैं पढ़ना चाहती हूं, फीस माफ करवा दीजिए या फीस का इतंजाम करा दीजिए.” उसने बताया था कि पिता राजीव त्रिपाठी को चोट लगने के बाद परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गया है. मां मीनाक्षी एक शॉप पर नौकरी कर रही हैं. उसके अलावा कक्षा 12 में पढ़ने वाला भाई भी है.
पंखुड़ी ने बताया कि फीस न जमा कर पाने के कारण वह कक्षा सात में पढ़ाई करने नहीं जा पा रही है. उसकी समस्या सुनने के बाद सीएम योगी ने उसे भरोसा दिया था कि उसकी पढ़ाई नहीं रुकने पाएगी. वह खूब पढ़े, फीस माफ कराया जाएगा या फीस का इंतजाम कर दिया जाएगा. इसे लेकर उन्होंने अफसरों को निर्देशित भी किया था और पंखुड़ी की ख्वाहिश पर उसके साथ फोटो भी खिंचवाई थी. स्कूल में एडमिशन मिलने के बाद पंखुड़ी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है.
उधर, सपा चीफ ने दावा किया कि सवाल ये है कि जब हमने मदद का हाथ बढ़ाया, तभी सरकार को फ़ीस जमा कराने का होश क्यों आया. आज जो उदारता दिखाई जा रही है वो कल तक कहाँ थी और तब कहाँ चली गयी थी जब ‘किताबवाली बच्ची’ की झोपड़ी पर बेरहमी से बुलडोज़र चलवाया गया था. अगर ये भाजपा सरकार का दिखावा नहीं है तो पूरे प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों के बच्चों का जो शोषण हो रहा है भाजपा सरकार उसे रोककर दिखाए.
उन्होंने कहा था कि भाजपाई अपना झूठ अपने मन के अंदर रखें, बच्चों के मुँह से सियासत न कराएं. ये एक बेहद निंदनीय कृत्य है कि पहले तो बच्ची और उसके दीन-हीन परिवार को फ़ीस माफ़ी के लिए दर-दर भटकाया फिर अपने लोग भेजकर मन चाहा कहलवाया. बच्ची के परिवार के चेहरों पर सत्ता का डर और झूठ बोलने का अपराध बोध साफ़ झलक रहा है.
वहीं 7 जुलाई, सोमवार को एक प्रेस वार्ता में अखिलेश ने कहा कि मेरा सरकार से यही निवेदन है कि ये सियासत का खेल बड़े लोगों का है, इसमें बच्चों को ना डालें.
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