मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली द्वैमासिक अवधि (अप्रैल-मई) में ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज की हैं. विभाग ने हर क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति दिखाई है. राजस्व, वाहन पंजीकरण, ई-मोबिलिटी और प्रशासनिक सुधार के मोर्चे पर यह प्रगति साफ नजर आती है. इससे साफ है कि मुख्यमंत्री योगी की नीतियों, पारदर्शिता और ई-गवर्नेंस के प्रयासों का असर दिख रहा है.
विभाग ने इस अवधि में कुल 2083.63 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछले साल के मुकाबले 13.11% ज्यादा है. केवल मई माह में ही 1040.48 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा हुआ, जो बीते साल मई की तुलना में 14.02% अधिक है.
वाहन पंजीकरण के मामले में भी बड़ा उछाल आया है. मई 2025 में 3,62,134 गैर-परिवहन वाहन पंजीकृत हुए, जो पिछले साल की तुलना में करीब 24% की वृद्धि है. इनमें खासकर दोपहिया वाहनों की संख्या 26.93% ज्यादा रही. इसका मतलब है कि प्रदेश में निजी वाहन उपयोग में तेजी से इजाफा हो रहा है.
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परिवहन वाहनों के पंजीकरण में भी 9.88% की वृद्धि दर्ज की गई. खासकर ई-कार्ट जैसी शहरी लॉजिस्टिक्स के वाहनों की संख्या 65% बढ़ी है. यह प्रदेश में डिजिटल डिलीवरी सेवाओं के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है.
7 लाख से ज्यादा नए वाहन सड़कों पर एक और बड़ी उपलब्धि इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में देखने को मिली. इस अवधि में 50,626 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए, जिनमें ई-रिक्शा, दोपहिया और थ्री-व्हीलर शामिल हैं. अकेले दो महीनों में ही 3,664 इलेक्ट्रिक कारों का पंजीकरण हुआ, जो साफ संकेत देता है कि प्रदेश में ई-मोबिलिटी को लेकर लोगों का रुझान बढ़ा है.
मई 2025 तक प्रदेश में कुल ऑन-रोड वाहनों की संख्या 5 करोड़ को पार कर गई है. मार्च 2025 में यह आंकड़ा 4.93 करोड़ था. यानी केवल दो महीनों में 7 लाख से ज्यादा नए वाहन सड़कों पर उतरे.
ड्राइविंग लाइसेंस फीस के जरिये भी 29.49 करोड़ रुपये जुटाए गए. राज्य में 90% से ज्यादा टैक्स और शुल्क ऑनलाइन जमा हुए, जिससे पारदर्शिता और नागरिक सुविधा में इजाफा हुआ.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रफ्तार रही तो इस साल के अंत तक 14,000 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व जुटेगा. इसके अलावा 3.5 से 4 लाख नए इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो सकते हैं और प्रदेश में कुल वाहनों की संख्या 5.35 करोड़ से ज्यादा हो सकती है.
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