Lucknow News: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास से जुड़े विभाग में भारी लापरवाही और पदों की रिक्तता को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता अजय राय ने कहा है कि योगी सरकार की संवेदनहीनता के चलते पूर्व सैनिक, वीर नारियां और उनके परिजन कई वर्षों से परेशान हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है.
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष के मुताबिक उत्तर प्रदेश सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग में स्वीकृत 19 सहायक सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारियों के पदों में से 18 खाली पड़े हैं. इसी तरह, 84 स्वीकृत कल्याण कार्यकर्ता पदों में से 51 पद रिक्त हैं. इन पदों पर सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति होती है, जो सेना से जुड़े नियम-कायदों, अभिलेखों और कल्याणकारी योजनाओं की गहरी समझ रखते हैं.
इन पदों के खाली होने से न सिर्फ विभाग का कामकाज ठप पड़ा है, बल्कि हजारों पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को पेंशन, स्वास्थ्य सेवाओं, पुनर्वास और अन्य जरूरी मदद पाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अजय राय ने इस मुद्दे को बेहद गंभीर बताया और कहा कि सरकार ने जानबूझकर इन पदों को वर्षों से खाली रखा है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को सैनिकों की चिंता नहीं है.
यूपी में रहते हैं 4 लाख पूर्व सैनिक और हजारों वीर नारियां व आश्रित परिवार
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लगभग 4 लाख पूर्व सैनिक और हजारों वीर नारियां व आश्रित परिवार रहते हैं. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से इनके लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन जब इन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू करने वाले ही नहीं होंगे तो लाभ कैसे पहुंचेगा?
पूर्व सैनिक विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन) सुभाष मिश्रा ने भी यह मुद्दा कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के सामने उठाया था, जिसके बाद अजय राय ने तुरंत मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर 7 जनवरी 1970 की नियमावली (1969) के तहत रिक्त पदों पर अधियाचन जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू कराने की मांग की.
सैनिकों के लिए काम करना सरकार का कर्तव्य- अजय राय
अजय राय ने कहा कि सैनिक देश की सेवा करते हैं, और उनके लिए काम करना सरकार का कर्तव्य है. यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया तो कांग्रेस इस मुद्दे को सड़क से सदन तक उठाएगी. यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि उन जांबाज सैनिकों के प्रति सरकारी उपेक्षा को भी दर्शाता है, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जवानी कुर्बान की.