उत्तर प्रदेश में विद्युत निजीकरण को लेकर घमासान मचा है लेकिन ये हंगामा और इसके पीछे का सच हम आपको बता रहे हैं कि आखिर ये हंगामा बरपा क्यों है? बताते चलें कि इसका मसौदा तैयार करने वाली कंपनी सवालों के घेरे में है. उपभोक्ता परिषद सवाल उठा रही है और ये कह रही है कि नियमों का उल्लंघन करके तथ्य छिपाकर कंपनी ने टेंडर लिया है.
इस नियम पर गौर करें तो वही कंसल्टेंट बनेगा जिस पर तीन साल तक कोई पेनाल्टी न हो. इसी बीच टेंडर निकलता है और कंपनी यूपी पावर कारपोरेशन को शपथ पत्र देती है कि कोई पेनाल्टी नहीं है और टेंडर मिल जाता. उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद पावर कारपोरेशन सवाल करती है और इसे कंपनी का जवाब मिलता है कि पेनाल्टी लगी है. फिर भी न तो इसे बैन किया जाता है और न ही इस पर कार्रवाई होती है और अभी भी वही कंपनी मसौदा तैयार कर रही है लिहाजा उपभोक्ता परिषद के साथ अब इस कंपनी का विरोध कर रही है.
यूपी की बिजली व्यवस्था में निजीकरण को लेकर घमासान मचा है. कर्मचारी विरोध में उतर रहे हैं, ऊर्जा मंत्री का विरोध जारी है. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के चेयरमैन अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली कंपनी ग्रांट थारटन दागी है. नियामक आयोग में इसे लेकर की शिकायत की गई है और सुनवाई न होने से इस पर आक्रोश व्याप्त है.
2 करोड़ 39 लाख का टेंडर पास करता है पावर कारपोरेशन
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि जनवरी/ फरवरी 2025 में टेंडर जारी हुआ कि निजीकरण का मसौदा तैयार करने के लिए कंसल्टेंट चाहिए. शर्त ये रखी गई कि तीन साल तक कोई पेनाल्टी न हो. तीन कंपनियों ने टेंडर डाला जिसमें इवाई, डिलाइट और ग्रांट थारटन भारत टेंडर डालती है. 25 मार्च को पावर कारपोरेशन 2 करोड़ 39 लाख का टेंडर पास कर देता है.
अप्रैल में टेंडर पाने वाली को दिया नोटिस
जिसके बाद उपभोक्ता परिषद और कर्मचारी संघर्ष समिति के लोग आपत्ति जताते हैं, जिस पर कागज मांगे जाते है और अमेरिका रेगुलेटर के कागज को पावर कॉपोरेशन को उपलब्ध कराया जाता है. अप्रैल माह में टेंडर पाने वाली कंपनी को नोटिस दी जाती है. आरोप है कि पत्रावली दबा ली गई और टेंडर विंग कहता है कार्रवाई करो. उच्च प्रबंधन ने रोक लिया, जिसे असंवैधानिक बताया जा रहा है. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा एक्स पोस्ट पर हैं और कर्मचारी मैदान में निशाने पर निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली कंपनी है अब देखना ये होगा कि इसे लेकर निर्णय क्या होता है?
यूपी में बिजली के निजीकरण को लेकर मचे घमासान के पीछे क्या है? जानें क्यों हो रहा है विरोध
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