यूपी के बस्ती और संतकबीरनगर जिले के बॉर्डर पर बसा गांव आज सालों बाद आजाद हो गया. दो जिलों के बीच पीस रहा गांव और इस गांव के ग्रामीण आज बेहद खुश है क्यों कि उन्हें भी सरकारी अभिलेखों में अब खुद की पहचान मिलेगी.
लंबे संघर्ष के बाद ग्रामीण अब आजाद हो गए है, उन्हें अपनी पहचान मिल गई है, एबीपी न्यूज़ ने भी इस गांव के ग्रामीणों की आवाज उठाई थी, जिसके बाद मंडल के आयुक्त आईएएस अधिकारी अखिलेश सिंह ने बस्ती और संतकबीरनगर जिले के जिला अधिकारी से रिपोर्ट तलब की और जैसे ही डीएम की तरफ से एक विस्तृत जानकारी कमिश्नर के पास आई तो मंडल आयुक्त ने शासन में गांव को बस्ती जनपद में शामिल करने की रिपोर्ट भेज दी.
दो जिलों के बीच फंसा था गांव
इस पहले ये गांव दो जनपदों के बीच फंसा था, ग्रामीण रहते बस्ती में थे मगर उनके सारे अभिलेख संतकबीरनगर जिले के थे, लोकसभा और विधानसभा चुनाव का वोट बस्ती में करते तो पंचायत चुनाव की वोटिंग संतकबीरनगर में करना पड़ता था. किसी भी सरकारी अभिलेखों को बनवाने के लिए इन्हें चक्कर काटना पड़ता था.
गुमनामी की वजह से युवा बेरोजगार हो रहे थे, उनका आधार कार्ड से लेकर निवास प्रमाण पत्र बन पाना मुश्किल हो गया था. मगर अब उनकी सारी समस्याओं का निदान हो चुका है और उन्हें अपनी पहचान मिल चुकी है.
इस गांव का है पूरा मामला
कुदरहा ब्लाक के ग्राम पंचायत चकिया का राजस्व गांव भरवलिया उर्फ टिकुइया जिला विभाजन के समय अधिकारियों की गलती से संत कबीर नगर जिले के धनघटा तहसील में शामिल हो गया था. जिसे 28 साल बाद प्रशासन ने सुधार कर बस्ती जिले के सदर तहसील में शामिल करने की रिपोर्ट शासन को सौंप दी है.
अब यह राजस्व गांव बस्ती में शामिल हो जाएगा. जिसकी खुशी में ग्रामीणों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर कमिश्नर और डीएम सहित मीडिया को धन्यवाद ज्ञापित किया है. आज स्वतंत्रता दिवस के दिन ग्रामीणों ने प्राइमरी स्कूल पर झंडारोहण किया और कहा इस गांव के लोगों को असली आजादी आज मिली है.
अधिकारियों ने कर दिया था गलत सीमांकन
बस्ती जिले के 1997 में सृजन के बाद तत्कालीन राजस्व अधिकारियों की गलती की वजह से गलत सीमांकन कर दिया गया और यह गांव बस्ती में स्थापित हो गया मगर इसे संतकबीरनगर जिले के घनघटा तहसील में दर्ज कर दिया गया.
बता दें गांव के सारे चुनाव संतकबीरनगर जिले में होते है जब कि पंचायत चुनाव बस्ती में संपन्न होता है, जिस वजह से यह गांव आज भी विकास से महरूम हो रहा, न तो यहां रास्ते है और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ ही ग्रामीणों को मिल पा रहा है.
दो जिलों की वजह से बीच में अटक जाते थे काम
कुदरहा ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायत चकिया का राजस्व गांव भरवलिया उर्फ टिकुइया अधिकारियों की एक गलती के कारण बस्ती और संत कबीर नगर जिले में फंसा हुआ था. जिसको लेकर ग्रामीण काफी चिंतित थे. इतना ही नहीं गांव का समग्र विकास भी नहीं हो पा रहा था. नौजवानों के नौकरी में समस्या होती थी.
ग्रामीणों ने इस राजस्व गांव को बस्ती जिले में शामिल करने के लिए काफी मेहनत किया. उसके बावजूद भी समस्या का हल नहीं निकल पा रहा था.इसके बाद इस समस्या को मीडिया ने प्रमुखता से अपने समाचार पत्र में प्रकाशित किया. जिसको मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने संज्ञान लेकर दोनों जिलों के जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी.
रिपोर्ट मिलने के बाद मंडलायुक्त ने भरवलिया उर्फ टिकुईया गांव को बस्ती जिले के सदर तहसील में शामिल करने के लिए शासन को पत्र लिखा है. जिसकी खुशी में ग्रामीणों ने पूर्व प्रधान संतराम के नेतृत्व में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार व्यक्त किया. ग्रामीणों ने मंडलायुक्त, डीएम और मीडिया को धन्यवाद व्यापित किया.
अपर जिला अधिकारी ने क्या बताया?
अपर जिला अधिकारी प्रतिपाल सिंह चौहान ने बताया कि मंडलायुक्त के निर्देश पर रिपोर्ट प्रेषित की गई है, जिसमें कुदरहा के भरवलिया गांव को बस्ती में शामिल किए जाने की अनुशंसा करते हुए आयुक्त को फाइल भेज दी गई थी जिसके बाद शासन में उक्त गांव को बस्ती जनपद में शामिल करने का प्रारूप भेजा गया है.
मंडल आयुक्त अखिलेश सिंह की गंभीरता और सजगता का परिणाम रहा कि आज इस गांव को खुद की पहचान मिली है, आयुक्त ने राजस्व परिषद को रिपोर्ट भेज दी है, जिसके बाद जल्द ही अब एक नया आदेश जारी हो जाएगा जिसमें भरवलिया गांव को पूरी तरह से बस्ती जिले में शामिल करने की अंतिम घोषणा की जाएगी. इस के बाद ग्रामीणों के सारे अभिलेख बस्ती जनपद के सदर तहसील से बनने शुरू हो जाएंगे.
यूपी में 28 साल बाद 15 अगस्त के दिन आजाद हुआ ये गांव, दो जिलों के बीच में था फंसा
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