यूपी में DM और CMO के आपसी झगड़े ने लिया सियासी रंग, दो धड़ों में बंटे बीजेपी नेता, सपा भी उठा रही सवाल

by Carbonmedia
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UP News: उत्तर प्रदेश के कानपुर में जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी के बीच का विवाद अब और गहरा होता जा रहा है. कुछ दिन पहले डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह ने शासन को चिट्ठी भेजकर सीएमओ डॉ. नेमी चंद को हटाने की सिफारिश की थी. जब यह बात सामने आई तो मामला और गरमा गया. जैसे ही डीएम की सिफारिश की खबर बाहर आई तो विधानसभा अध्यक्ष और कुछ विधायकों की ओर से सीएमओ के समर्थन में चिट्ठियां सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं. इन चिट्ठियों में सीएमओ को न हटाने की मांग की गई है. ये विवाद अब प्रशासनिक नहीं, बल्कि सियासी रंग भी लेने लगा है. जिसके बाद सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं. 
यह विवाद तब शुरू हुआ जब फरवरी 2025 में डीएम ने सीएमओ कार्यालय पर छापा मारा. उस समय सीएमओ समेत कई अधिकारी बिना किसी सूचना के गैरहाजिर थे. इसके बाद जब डीएम ने अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया, तो वहां भी उन्हें कई अनियमितताएं मिलीं. वहीं इस प्रकरण के बाद बीते दिनों सोशल मीडिया पर कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल हुईं जिसमें दावा किया गया कि ये ऑडियो सीएमओ डॉ. नेमी के हैं, जिनमें डीएम को लेकर आपत्तिजनक बातें कही गई थीं. इसके बाद डीएम ने शासन को चिट्ठी भेजकर सीएमओ के ट्रांसफर की सिफारिश कर दी. 
हाल के दिनों में जब सीएमओ मुख्यमंत्री डैशबोर्ड की एक बैठक में शामिल होने पहुंचे तो बैठक की अध्यक्षता कर रहे डीएम ने उनसे तंज भरे लहजे में कहा कि तुम जीवित हो? एआई हो गए हो क्या? जाओ, ऑडियो पर एफआईआर कराओ और मीटिंग से बाहर जाओ.
दोनों के बीच विवाद की दूसरी वजह डीएम और सीएमओ के बीच चल रहे विवाद में एक मुद्दा और है. इसको लेकर एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें सीएमओ डॉ. नेमी चंद ने गंभीर आरोप लगाए हैं. सीएमओ ने वीडियो में कहा कि जेएम फार्मा नाम की एक कंपनी ने नेशनल अर्बन हेल्थ मिशन के तहत 1.60 करोड़ रुपये का सामान सप्लाई करने का ठेका लिया था. लेकिन, उसने सिर्फ 1.30 करोड़ रुपये का ही माल भेजा. यह कंपनी पहले से ही सीबीआई से चार्जशीटेड है. डॉ. नेमी का ने कहा कि उन्होंने इसकी कमिश्नर और डीएम दोनों को जानकारी दी थी. लेकिन, इसके बावजूद फर्म को 15 दिन का और समय दे दिया गया.
सीएमओ ने यह भी कहा कि भेजा गया सामान घटिया था और जो बैच नंबर भेजा गया, वो भी असली रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता. उन्होंने डीएम को इस बारे में पत्र लिखा था लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला. सीएमओ का दावा है कि जब उन्होंने फर्म का पेमेंट रोक दिया, तभी से विवाद शुरू हुआ और उन पर दबाव बनाया जाने लगा. उनका यह भी कहना है कि फर्म के मालिक और कुछ अन्य लोगों ने डीएम को गलत जानकारी देकर गुमराह किया. साथ ही, डॉ. नेमी ने अपने ही विभाग के कुछ कर्मचारियों पर भी मिलीभगत और गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं.
इस मामले पर सियासत भी तेजइस विवाद में जनप्रतिनिधियों में भी दो फाड़ हो गए हैं. यूपी विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने सीएमओ के पक्ष में स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखकर कहा कि डॉ. हरिदत्त नेमी का कार्य व्यवहार जनप्रतिनिधियों व जनता के प्रति सराहनीय है. सुरेंद्र मैथानी ने भी पत्र लिखकर सीएमओ को कानपुर नगर में ही बनाए रखने की सिफारिश की है. विधान परिषद के सदस्य अरुण पाठक भी उनके समर्थन में है. उन्होंने भी सीएमओ के काम की सराहना की. 
दूसरी तरफ विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनके ट्रांसफर की मांग की और कहा कि वो अवैध रूप से प्राइवेट अस्पतालों को संरक्षण देते हैं और सरकारी अस्पतालों की अनदेखी करते हैं. समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा कि सपा इसमें जनता की भूमिका में है. ये जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के बीच की जंग नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है.
सीएमओ और डीएम के बीच चल रहे है इस विवाद के बीच अब जनप्रतिनिधियों के भी कूद जाने के बाद देखना होगा कि उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से लेकर सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या जांच कराते हैं और क्या एक्शन लेते हैं?
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