ये गांधी और नेहरू का नहीं, मोदी का भारत…’, इजरायल-ईरान जंग पर सोनिया गांधी को लेकर क्या कह गए मणिशंकर अय्यर

by Carbonmedia
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Manish Shankar Aiyar: कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने इजरायल-फिलिस्तीन और ईरान-इजरायल तनाव पर भारत सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि आज का भारत पंडित नेहरू और महात्मा गांधी का भारत नहीं रहा, बल्कि यह नरेंद्र मोदी का भारत बन गया है, इसलिए इजरायल के साथ खड़ा है और फिलिस्तीन में हो रहे नरसंहार के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा रहा.
अय्यर ने कहा कि अगर आज कांग्रेस की सरकार होती, तो भारत की विदेश नीति पूरी तरह से स्पष्ट होती. उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी ने भी एक लेख में यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस फिलिस्तीन के साथ खड़ी होती. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को फिलिस्तीन में हो रहे नरसंहार के खिलाफ खुलकर आवाज उठानी चाहिए.
ईरान ने हर मुश्किल समय में भारत का साथ दिया- मणिशकंर अय्यरईरान-इजरायल तनाव पर मणिशंकर अय्यर ने कहा कि ईरान ने हमेशा भारत का समर्थन किया है, खासकर संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर. इसलिए भारत को भी ईरान का साथ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि ईरान ने भारत के हितों की रक्षा के लिए हर संकट में साथ निभाया है, ऐसे में भारत को भी उसका साथ देना चाहिए.
नरेंद्र मोदी को बताया सबसे बेकार प्रधानमंत्रीइससे पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का “अब तक का सबसे खराब प्रधानमंत्री” करार दिया था  और कहा कि जब तक देश को उनसे और उनकी सरकार से मुक्ति नहीं मिलती, भारत की तकदीर सुधर नहीं सकती. अय्यर रविवार को मैसूरु लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बोल रहे थे.
एक-तिहाई वोटों से जीते, लेकिन सबसे अधिक तानाशाही रवैयाअय्यर ने कहा कि नरेंद्र मोदी सिर्फ एक-तिहाई भारतीय मतदाताओं के वोट से प्रधानमंत्री बने हैं, लेकिन इतिहास के सबसे अधिनायकवादी नेता साबित हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि दो-तिहाई भारतीयों ने उन्हें वोट नहीं दिया, यहां तक कि हिंदू समुदाय के भी आधे लोगों ने उन्हें वोट नहीं किया. अय्यर ने कहा, ‘लोग समझते हैं कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व एक नहीं हैं.’
‘भारत को जोड़ने के लिए विविधता को स्वीकारना होगा’अय्यर ने कहा कि बीजेपी की सांस्कृतिक और धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की राजनीति भारत को कमजोर कर रही है. उन्होंने कहा कि गांधी और नेहरू के भारत की कल्पना तभी पूरी होगी, जब हम देश की विविधता को स्वीकार कर उसकी एकता को मज़बूत करेंगे. भारत को एकजुट और सशक्त बनाने का रास्ता विविधता में एकता के सिद्धांत से होकर ही जाता है.

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