राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. प्राधिकरण ने 35 आवश्यक दवाओं की कीमतों में कमी की है. यह फैसला रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा एनपीपीए की सिफारिश के आधार पर लिया गया है. कीमतों में कटौती का लाभ खासतौर पर दिल, डायबिटीज, मानसिक रोग और इंफेक्शन जैसी पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को मिलेगा.
किन दवाओं की कीमतें घटीं और किस बीमारी में मददगार हैं?
1. एसिक्लोफेनाक-पैरासिटामोल-ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिन
बीमारी: दर्द और सूजन (आर्थराइटिस, चोट, सर्जरी के बाद)
नई कीमत: 13 रुपये प्रति टैबलेट (पहले 15.01 रुपये तक थी)
2. एमोक्सिसिलिन-पोटेशियम क्लैवुलनेट कॉम्बिनेशन
बीमारी: बैक्टीरियल इंफेक्शन (गले का संक्रमण, साइनस, फेफड़ों के संक्रमण)
3. एटोरवास्टेटिन + क्लोपिडोग्रेल
बीमारी: हार्ट डिजीज, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड क्लॉट रोकथाम
नई कीमत: 25.61 मूत्र मार्ग के संक्रमण प्रति टैबलेट
4. एम्पैग्लिफ्लोजिन, सिटाग्लिप्टिन, मेटफॉर्मिन (ओरल एंटीडायबिटिक)
बीमारी: टाइप-2 डायबिटीज, ब्लड शुगर नियंत्रण
5. डिक्लोफेनाक इंजेक्शन
बीमारी: गंभीर दर्द और सूजन (आर्थराइटिस, चोट, पोस्ट-ऑपरेटिव पेन)
नई कीमत: 31.77 मूत्र मार्ग के संक्रमण प्रति mL
6. सेफिक्साइम + पैरासिटामोल (ओरल सस्पेंशन)
बीमारी: बच्चों में बुखार और बैक्टीरियल इंफेक्शन
7. कोलेकैल्सिफेरॉल (विटामिन D ड्रॉप्स)
बीमारी: विटामिन D की कमी, हड्डियों की मजबूती
नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई
अगर नई कीमतों का पालन नहीं किया गया तो डीपीसीओ, 2013 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत कार्रवाई होगी. ज्यादा वसूले गए पैसे ब्याज के साथ वापस करने होंगे. सभी दुकानदारों को अपने यहां नई दवाओं की कीमतों की लिस्ट लगानी जरूरी है.
दवा कंपनियों के लिए नियम
निर्माताओं को नई कीमतों की लिस्ट फॉर्म V में अपडेट करनी होगी और इसे इंटीग्रेटेड फार्मास्युटिकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम पर डालना होगा. साथ ही इसकी जानकारी एनपीपीए और राज्य औषधि अधिकारियों को देनी होगी.
जीएसटी का नियम
एनपीपीए ने कहा है कि तय कीमतों में जीएसटी शामिल नहीं है. जीएसटी अलग से लगाया जाएगा. इस आदेश के बाद पुरानी कीमतों वाले सभी आदेश रद्द हो गए हैं.
मरीजों को क्या फायदा होगा?
इन दवाओं की कीमत कम होने से उन लोगों को सीधा फायदा मिलेगा जो लंबे समय से महंगी दवाएं खरीदते हैं. अब इलाज का खर्च कम होगा और मरीजों की जेब पर बोझ घटेगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता करने में मदद करेगा.
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