रस्किन बॉन्ड की कहानी से बनी ‘आंखों की गुस्ताखियां’:प्रोड्यूसर ने बताया- आज की तकनीक में 90s वाला प्यार, फिल्म में दिखेंगे विक्रांत और शनाया

by Carbonmedia
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विक्रांत मैसी और शनाया कपूर स्टारर फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ 11 जुलाई को रिलीज होगी। इसकी राइटर-प्रोड्यूसर मानसी बागला हैं। उन्होंने इस कहानी को रोमांस की खोती जा रही पवित्रता को फिर से जिंदा करने के इरादे से लिखा है। फिल्म के पीछे की सोच, इसकी भावनात्मक गहराई समेत अपने करियर को लेकर मानसी ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। सवाल: ‘आंखों की गुस्ताखियां’ का विचार कैसे आया?
जवाब: यह विचार मसूरी में मेरी फिल्म ‘फॉरेंसिक’ की शूटिंग के दौरान आया, जब रस्किन बॉन्ड से मुलाकात हुई थी। उनसे बातें करते हुए मैंने उन्हें बताया कि मैं हमेशा से एक प्योर लव स्टोरी बनाना चाहती थी, कुछ वैसा जैसा 90 के दशक की फिल्मों में होता था। उन्होंने मेरी बातों को गंभीरता से लिया और मुझे उनकी किताबों में से एक छोटी सी कहानी ‘द आइज हैव इट’ तोहफे में दी। वहीं से ये कहानी शुरू हुई और मैंने तय किया कि अब इसी पर फिल्म बनाऊंगी। सवाल: इतनी कहानियों में से ‘द आइज हैव इट’ को ही क्यों चुना?
जवाब:क्योंकि मैं कुछ सच्चा, सरल और इनोसेंट बनाना चाहती थी, जो आजकल के कॉम्प्लेक्स रिलेशनशिप से अलग हो। उस वक्त कोई लव स्टोरी बना भी नहीं रहा था, तो मुझे लगा कि यही सही समय है कुछ नया और सॉफ्ट पेश करने का। रस्किन बॉन्ड की ये कहानी सादगी और गहराई का सुंदर मेल है, जिसने मुझे बहुत अपील किया। सवाल: रस्किन बॉन्ड की स्टोरी का फ्लेवर कितना बरकरार रखा है?
जवाब: चूंकि रस्किन की कहानी छोटी थी, इसलिए स्क्रिप्ट और नैरेटिव मुझे खुद से बनाना पड़ा लेकिन उसका आत्मा, सादगी, मासूमियत और इमोशनल टोन मैंने पूरी तरह बनाए रखी है। फिल्म आज के यूथ से भी जुड़ती है, इसलिए इसे बैलेंस करके लिखा है, ताकि 90 के दौर का फील और आज की सोच एक साथ चलें । सवाल: 90s की सिनेमैटोग्राफी और आज के स्टाइल में क्या कॉम्बिनेशन रखा है?
जवाब: हमने 90 के दशक की लव स्टोरी वाली आत्मा, गहराई और प्लेफुलनेस तो रखी है लेकिन टेक्निकली फिल्म पूरी तरह आज के जमाने की है। कैमरा, लाइटिंग, टेक्नोलॉजी, क्राफ्ट सब मॉडर्न हैं, मगर कहानी की बेसिक फीलिंग ऑथेंटिक और क्लासिक है। आज की ऑडियंस को पुरानी आत्मा और नया अंदाज एक साथ मिलेगा। कहानी को आज के दौर से जोड़ा है ताकि युवा भी उससे कनेक्ट कर सकें लेकिन आत्मा वही है जो बॉन्ड की कहानी में थी वो एक शांत, सादा और बहुत दिल से निकली हुई लव स्टोरी। रस्किन बॉन्ड की कहानियों की खासियत यही होती है कि वे बहुत सिंपल होती हैं लेकिन अंदर से बहुत गहरी होती हैं। ‘द आइज हैव इट’ भी बहुत छोटी सी कहानी है, तो फिल्म के लिए उसका विस्तार करना जरूरी था। सवाल: क्या आपने मदरहुड को फिल्मों के लिए टाल दिया है?
जवाब: हां, ये एक निजी और सोच-समझकर लिया गया फैसला था। फिल्म बनाना भी एक तरह से पैरेंटिंग जैसा होता है, पूरा समर्पण चाहिए। जब कोविड के बाद मुझे लगा कि अब परिवार प्रेशर कर रहा है, तभी मैंने सोचा कि पहले अपने प्रोफेशनल ड्रीम पूरे करूं। वरुण (पति) का पूरा सपोर्ट मिला और तय किया कि 4-5 फिल्मों तक हम फैमिली को टालेंगे, ताकि मैं खुद को बिना अधूरा महसूस किए मां बन सकूं । सवाल: क्या स्क्रीन पर आने का कभी विचार आया?
जवाब: नहीं, मुझे कैमरे के पीछे रहना ज्यादा पसंद है। मैं राइटिंग और प्रोडक्शन में खुश हूं। मुझे चीजों की बारीक निगरानी करना अच्छा लगता है। मेरे पति मजाक में कहते हैं कि मैं ‘बिग बॉस की आंख’ हूं क्योंकि मुझे हर चीज का पता रहना चाहिए। यही मेरी ताकत भी है । सवाल: विक्रांत मैसी को ही क्यों इस कहानी के लिए चुना गया?
जवाब: मैंने उनके साथ ‘फॉरेंसिक’ में काम किया था और तभी से मैं उन्हें एक लव स्टोरी के हीरो के रूप में देख रही थी। जब यह कहानी दिमाग में बन रही थी, तो मुझे यकीन था कि सिर्फ विक्रांत ही इस रोल के लिए परफेक्ट रहेंगे। तब तक उनकी कोई थिएटर रिलीज़ भी नहीं हुई थी और मैं चाहती थी कि मेरी फिल्म उनके थिएटर डेब्यू जैसी बने। उनकी मासूमियत और इमोशनल कनेक्शन बनाने की क्षमता इस किरदार के लिए एकदम सही थी।
सवाल: शनाया कपूर को लेकर क्या सोच थी? स्टार किड होने को कैसे देखा?
जवाब: स्टार किड होना मेरे लिए कभी क्राइटेरिया नहीं था। मैंने तारा सुतारिया को भी अप्रोच किया क्योंकि वह सुंदर और इनोसेंट लगीं। शनाया को जब पहली बार देखा, तो लगा जैसे ‘सबा’ (किरदार) मेरे सामने खड़ी हो। उसने मेहनत और एक्टिंग दोनों से सबको चौंका दिया। विक्रांत जैसे मंझे हुए एक्टर के सामने डेब्यू फिल्म में परफॉर्म करना आसान नहीं होता लेकिन उसने सभी उम्मीदों से बेहतर काम किया है। वो फिल्म की सबसे बड़ी सरप्राइज में से एक होंगी।

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