झारखंड की राजधानी रांची में प्राइवेट अस्पताल की मनमानी का बेहद ही गंभीर मामला सामने आया है. आरोप है कि नवजात की मौत के बाद भी अस्पताल बच्चे के शव को वेंटिलेटर पर रखे रहा. नवजात के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि रांची के एक प्राइवेट अस्पताल में अपने बच्चे को पिछले महीने भर्ती कराया था. बच्चे की मौत हो गई थी लेकिन उनसे ये बात छिपाई गई और शव को कई दिनों तक वेंटिलेटर पर ऱखा. वहीं, अस्पताल ने इन आरोपों से इनकार किया है.
पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है. रांची के डिप्टी कमिश्नर मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. डीसी ने कहा, “बच्चे की मौत के बाद, शव कथित तौर पर वेंटिलेटर पर रखा गया और सड़ने लगा. शव से दुर्गंध आ रही थी. बच्चे के माता-पिता एक बहुत ही गरीब परिवार से हैं.”
बच्चे का जन्म 4 जुलाई को रांची सदर अस्पताल में हुआ था.
ऑक्सीजन की कमी के लक्षण के बाद 8 जुलाई को उसे रांची के लिटिल हार्ट अस्पताल ले जाया गया था.
30 जुलाई को अस्पताल ने बच्चे को उसके पेरेंट्स को सौंप दिया
मृतक बच्चे के पिता ऑटो चलाते हैं
बच्चे के पिता मुकेश सिंह का क्या है आरोप?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ऑटो रिक्शा चलाने वाले बच्चे के पिता मुकेश सिंह ने बताया, ”प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने के बाद, परिवार को बच्चे के साथ 10 मिनट भी नहीं बिताने दिया गया. परिवार ने इलाज के लिए लगभग 3 लाख रुपये उधार लिए थे. 12 जुलाई को बच्चे को देखने के लिए बार-बार ज़ोर देने पर अस्पताल ने उन्हें एक वीडियो भेजा जिसमें बच्चा जीवित दिखाई दे रहा था लेकिन दो-तीन दिन बाद, उन्होंने बिल्कुल वही वीडियो फिर से भेजा, जिससे संदेह पैदा हुआ.”
बच्चा कई दिनों से मरा हुआ था- पिता
उन्होंने दावा किया, “हमें कभी भी बच्चे की स्थिति की व्यक्तिगत रूप से पुष्टि करने की इजाजत नहीं दी गई. जब भी हम उसे देखने की मांग करते, अस्पताल पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो भेज देता. एक हफ़्ते बाद, मुझे शक होने लगा कि मेरा बच्चा ज़िंदा भी है या नहीं, लेकिन मैं बुरी खबर सुनने के डर से किसी से पूछ भी नहीं पाया. 30 जुलाई को अस्पताल ने बच्चे को सौंप दिया. बच्चा कई दिनों से मरा हुआ था, क्योंकि उसका शरीर फूला हुआ था और उससे दुर्गंध आ रही थी.”
अस्पताल ने आरोपों से किया खारिज
उधर, अस्पताल ने एक बयान जारी कर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, बच्चे का इलाज करने वालों में शामिल डॉ. सत्यजीत कुमार ने बताया, ”शिशु को 8 जुलाई को गंभीर श्वसन संकट और संक्रमण के साथ भर्ती कराया गया था. बच्चा सेप्टिक शॉक में था. हमने रजिस्ट्रेशन या भुगतान जैसी औपचारिकताओं का इंतजार किए बिना ही उसे भर्ती कर लिया. बच्चा अनियमित रूप से सांस ले रहा था. ये डेड बॉडी के लक्षण नहीं हैं.”