रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में दिए गए बयान ने सोमवार को सियासी हलकों में नई बहस छेड़ दी है. सिंह ने स्पष्ट किया कि इस अभियान का उद्देश्य पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर कब्जा करना नहीं था, बल्कि आतंकवाद की जड़ों को खत्म करना था.
इस पर राज्यसभा सांसद और शिवसेना (UBT) के प्रवक्ता संजय राउत ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि यह बयान बताता है कि बीजेपी अब PoK को भारत में शामिल करने के अपने वादे से पीछे हट रही है.
संजय राउत ने कहा कि राजनाथ सिंह ने कहा है कल संसद में कि पाकिस्तान में घुस कर पीओके पर कब्जा लेने का हमारा इरादा नहीं था, ये बहुत गंभीर बात है. एएनआई के अनुसार, उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी बार बार बोल रही थी, कि अगर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) दूसरी बार प्रधानमंत्री बनें तो पीओके को भारत का हिस्सा बनाएंगे, ये बात योगी आदित्य नाथ भी बोल रहे थे.”
वो अखंड भारत नहीं बनाना चाहते- संजय राउत
उन्होंने कहा कि लोकसभा में अमित शाह बोल रहे थे कि पीओके के लिए हम बलिदान देंगे, लेकिन कल उनके रक्षा मंत्री बोल रहे हैं हमारा कोई ऐसा उद्देश्य नहीं है. और उस भाषण का प्रधानमंत्री गौरव करते हैं. यानी बीजेपी की मंशा साफ है कि वो पाकिस्तान के साथ लड़ना नहीं चाहते. वो अखंड भारत नहीं बनाना चाहते और पीओके जो पाकिस्तान के कब्जे में है उसको भी हासिल नहीं करना चाहते. तो ये सरकार क्यों बैठी है?”
#WATCH | Shiv Sena (UBT ) MP Sanjay Raut says, “Rajnath Singh yesterday said in Lok Sabha that our intention was not to take PoK. This is a very serious thing. The BJP had repeatedly stated in the past that it would take PoK. It is clear that this government does not want to… pic.twitter.com/95YRSPPTNV
— ANI (@ANI) July 29, 2025
ऑपरेशन सिंदूर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान
बता दें कि राजनाथ सिंह ने सोमवार (28 जुलाई) को संसद में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह सफल रहा और मिशन के पूर्व निर्धारित सभी लक्ष्य हासिल कर लिए गए थे. उन्होंने कहा कि “किसी दबाव में ऑपरेशन रोकने की बात बेबुनियाद है.”
रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस सैन्य कार्रवाई का मकसद किसी क्षेत्र पर कब्जा करना नहीं, बल्कि आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद करना था और उन निर्दोष नागरिकों को न्याय दिलाना था जो हालिया पहलगाम हमले में मारे गए थे.