राज-उद्धव ठाकरे के साथ आने पर BJP का बड़ा बयान- ‘जब वह मुख्यमंत्री थे तो…’

by Carbonmedia
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Raj Thackeray-Uddhav Thackeray News: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है. जिस राजनीति की वजह से दो ठाकरे भाइयों ने अलग-अलग राह पकड़ी, आज उसी राजनीति के चलते दोनों ठाकरे भाई एक रास्ते पर चलने को तैयार हैं. महाराष्ट्र में मराठी भाषा के सम्मान और हिंदी भाषा की कथित सख्ती के नाम पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आ रहे हैं. 
क्या ये साथ सिर्फ एक मुद्दे तक सीमित रहेगा या महाराष्ट्र में ठाकरे बंधुओं ने मेल-जोल की पटकथा लिखी जाएगी? इसपर अब बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी नेता आशीष शेलार ने कहा, “कोई भी साथ आ सकता है. ये उनका अधिकार है. हमारी भूमिका मराठी को लेकर स्पष्ट है कि मराठी अनिवार्य भाषा है और हिंदी वैकल्पिक भाषा है.”
‘उद्धव ठाकरे के काल में शुरू हुई थी हिंदी की बात’- BJPआशीष शेलार ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत जो त्रिभाषा सूत्र लागू हुआ, उसकी प्रक्रिया उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते ही शुरू हुई थी. हिंदी भाषा से संबंधित आयोग की विशेषज्ञों की रिपोर्ट भी उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही आई थी. हमारा स्पष्ट मत राज ठाकरे की पार्टी के लिए भी है.”
बीजेपी नेता ने आगे कहा, “कांग्रेस ने ही इस त्रिभाषा सूत्र पर निर्णय लिया था और उस समय शरद पवार ने इस निर्णय का समर्थन किया था. आज जो दल इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हीं के कार्यकाल में यह नीति लागू की गई थी.”
उथल-पुथल भरी है महाराष्ट्र की राजनीतिगौरतलब है कि महाराष्ट्र की राजनीति भी राज्य के मानसून की तरह है. जिस दिन मौसम विभाग भारी बारिश की चेतावनी दे उस दिन धूप खिल उठती है. उसी तरह महाराष्ट्र की राजनीति भी कब करवट ले कोई अनुमान नहीं लगा सकता. दशकों के दोस्त कब दुश्मन बन जाएं और विचारों की दुश्मनी किसे एक थाली में खाने को मजबूर कर दे, ये महाराष्ट्र की राजनीति में संभव है. 
क्यों साथ आ रहे राज-उद्धव ठाकरे?दरअसल, अप्रैल 2025 में राज ठाकरे ने कहा कि उनके और उद्धव ठाकरे के बीच जो मतभेद हैं, वे ‘मराठा हित और महाराष्ट्र के मुकाबले छोटे’ हैं. उद्धव ने भी सकारात्मक संकेत दिए कि वे ‘झगड़े को पीछे रख मराठी संस्कृति और राज्य के लिए एक हो सकते हैं”. शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने कहा कि ‘महाराष्ट्र हित’ को प्राथमिकता देंगे. अगर ठाकरे बंधु फिर एकजुट होते हैं, तो यह जनभावनाओं के अनुरूप होगा. 
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को स्कूलों में पहली कक्षा से अनिवार्य किए जाने के प्रस्ताव के विरोध में राज ठाकरे की मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) एक साथ आ रहे हैं. 

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