महाराष्ट्र में चल रहे मराठी-हिंदी भाषा विवाद को लेकर MNS अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ पुलिस महानिदेशक को लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है. यह शिकायत एडवोकेट नित्यानंद शर्मा, एडवोकेट पंकज कुमार मिश्रा और एडवोकेट आशीष राय ने संयुक्त रूप से दर्ज कराई है. आरोप है कि वरली (मुंबई) में ठाकरे बंधुओं की विजय रैली के अवसर पर आयोजित सभा में राज ठाकरे ने भड़काऊ भाषण दिया. शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान में महाराष्ट्र में प्रवासी नागरिकों (परप्रांतीयों) पर हो रहे हमलों की पृष्ठभूमि में यह एक गंभीर मामला है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है.
राज ठाकरे सहित अन्य के खिलाफ NSA के तहत कार्रवाई की मांग
शिकायत में राज ठाकरे सहित अन्य पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है, साथ ही मुंबई में दिए गए भाषण के संबंध में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की गई है. शिकायत में कहा गया है कि मराठी महाराष्ट्र की प्रादेशिक भाषा है और उसका सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है. लेकिन पिछले कुछ समय में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं द्वारा अन्य राज्यों से आए नागरिकों के खिलाफ भाषा के आधार पर हिंसा, मारपीट और सार्वजनिक अपमान की कई घटनाएं हुई हैं. यह स्थिति संविधान विरोधी है और राज्य की सामाजिक एकता व कानून-व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न करती है.
5 जुलाई 2025 को वरली डोम राज ठाकरे ने दिया था भाषण
5 जुलाई 2025 को मुंबई के वरली डोम में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में राज ठाकरे ने अपने भाषण में उत्तेजक, भड़काऊ और घृणा फैलाने वाले वक्तव्य दिए. उन्होंने अपने भाषण में विशेष रूप से यह कहा कि “परप्रांतीयों के साथ किसी भी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग न करें.” यह बयान स्पष्ट रूप से एक पूर्वनियोजित अपराध को समर्थन और बढ़ावा देने जैसा है. इससे यह भी प्रतीत होता है कि सबूत नष्ट करने या छिपाने का इरादा था, जो भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न धाराओं के तहत एक गंभीर अपराध है.
राज ठाकरे के भाषण के बाद MNS कार्यकर्ता काफी आक्रामक
राज ठाकरे के इस भाषण के बाद MNS कार्यकर्ता काफी आक्रामक हो गए और उन्होंने अन्य राज्यों से आए नागरिकों के खिलाफ हिंसक गतिविधियां शुरू कर दीं. कई स्थानों से यह सामने आया कि प्रवासी नागरिकों को मराठी भाषा बोलने के लिए मजबूर किया गया, और न बोलने पर धमकी, गाली-गलौज और मारपीट की गई. यह स्थिति महाराष्ट्र में सामाजिक वैमनस्य को जन्म दे रही है और धीरे-धीरे हिंसक रूप धारण कर रही है, जो भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
शिकायत पत्र में यह भी बताया गया है कि इन कृत्यों से भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है,
धारा 192 – धर्म, जाति, भाषा के आधार पर घृणा फैलाना
धारा 353 – सार्वजनिक शांति भंग करने वाला भाषण
धारा 351(2) और 351(3) – गंभीर धमकी देना
धारा 61(2) – आपराधिक षड्यंत्र रचना
शिकायत में की गई प्रमुख मांगें
राज ठाकरे के घृणास्पद भाषण और हिंसा को बढ़ावा देने वाले बयानों की जांच कर उनके खिलाफ FIR दर्ज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी सार्वजनिक शांति भंग करने या संविधानविरोधी बातें न कर सके.
MNS कार्यकर्ताओं द्वारा की गई मारपीट, धमकी, सामाजिक अपमान और जबरदस्ती की घटनाओं की जांच कर दोषियों पर कठोर कार्यवाही की जाए.
इस प्रकार के कृत्यों से महाराष्ट्र और देश की शांति, एकता व अखंडता को खतरा है, अतः दोषियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के अंतर्गत कार्रवाई की जाए.
महाराष्ट्र में रहने वाले सभी भारतीय नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे संविधान प्रदत्त अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.
राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल प्रशासनिक कदम उठाए.
राज्य सरकार इस प्रकार की विघटनकारी प्रवृत्तियों का स्पष्ट रूप से और सार्वजनिक रूप से विरोध करे, यह संदेश दे कि ऐसी गतिविधियों को न तो सहानुभूति मिलेगी और न मूक स्वीकृति.