सतीश कपूर | अमृतसर शारदीय नवरात्रों में शहरभर में जहां रामलीलाएं होंगी, वहीं दशहरे के लिए रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनाने का काम भी शुरू हो गया है। इन पुतलों को बनाने में जुटे हैं 70 साल के बुजुर्ग ‘राम जी’। राम जी बताते हैं कि यह कला उन्होंने अपने नाना जंगली राम से सीखी थी, जिन्होंने सबसे पहले शहर में पुतले बनाना शुरू किया था। उस समय राम जी की उम्र केवल 10 साल थी। दशहरा से एक महीना पहले ‘राम जी’ अपने नाना जंगली राम के साथ रावण के पुतले बनाने का काम सीखते रहे थे। नाना के निधन के बाद परंपरा को जारी रखा। अब आयु 70 साल हो चुकी है अब 3 बेटे श्याम, सोनू, मोनू और कारीगरों के साथ मिलकर माता भद्रकाली दशहरा ग्राउंड और छेहर्टा पंचरत्न श्री कृष्णा मंदिर कमेटी के रावण मेघनाद, कुंभकरण के पुतले बनाते हैं। शहर में सबसे बड़े पुतले उनकी तरफ से बनाए जाते हैं। राम जी ने बताया कि इस बार काफी बारिश होने के कारण पंजाब के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ के कारण हिमाचल से हरा बांस लेट आया है और रावण के पुतले बनाने भी लेट शुरू हुए हैं। वहीं पहले जो बांस 180 रुपए में मिलता था वह अब 300 रुपए तक पहुंच गया है। जबकि रावण को लपेटने वाला कागज, कपड़ा और अन्य सामान मंहगा हो गया है। जिसके कारण पिछले साल की तुलना में अब रावण समेत अन्य पुतले महंगे बिकेंगे। वहीं भद्रकाली मंदिर ग्राउंड में रावण का पुतला 70 फीट की होगी। जबकि छेहर्टा पंचरत्न श्री कृष्णा मंदिर के तीनों पुतले वहीं जाकर बनाए जाएंगे। फिलहाल वहां वाले रावण का ढांचा तैयार करना शुरू कर दिया है। वहीं बाढ़ की चपेट में आए रमदास, फतेहगढ़ चूडियां, डेरा बाबा नानक और मजीठा से इस बार रावण के पुतले बनाने का कोई आर्डर नहीं आया। वहां के लोगों का कहना है कि बाढ़ ने उनका सब कुछ तबाह कर दिया है। इसलिए दशहरा में रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाने का फिलहाल कोई इंतजाम नहीं है। गौर है कि लोहगढ़ में करीब 200 परिवार दशहरा पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के छोटे बड़े पुतले बनाते हैं।
‘राम जी’ दशहरे के लिए तैयार कर रहे रावण-मेघनाद के पुतले
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