रैगिंग हुई तो नपेंगे कॉलेज प्राचार्य, क्या करना होगा? लिस्ट जारी

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | जालंधर यूजीसी ने देश भर के उच्च शैक्षणिक संस्थानों को रैगिंग पर रोक लगाने के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी किए है। आयोग ने सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रैगिंग रोकने के लिए बनाए गए नियमों को फिर से लागू करने को कहा है। सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को इन नियमों का पूरी तरह पालन करना होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। हॉस्टल, कैंटीन, शौचालय, बस स्टैंड जैसे स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। सभी वेबसाइट्स पर नोडल अधिकारी की पूरी जानकारी अपडेट करनी होगी। संस्थानों को 8×6 फीट के पोस्टर प्रमुख स्थानों पर लगाने होंगे। ई-प्रोस्पेक्टस और सूचना पुस्तिकाओं में रैगिंग के खिलाफ चेतावनी देना अनिवार्य होगा। हॉस्टलों और अन्य छात्र आवासों में अचानक निरीक्षण करना होगा। रैगिंग से परेशान छात्र 24×7 टोल फ्री हेल्पलाइन 1800-180-5522 पर कॉल कर सकते हैं या helpline@antiragging .in पर ईमेल भेज सकते हैं। यूजीसी ने सभी संस्थानों को सलाह दी है कि वे मेंटर-मेंटी प्रणाली लागू करें। इससे जूनियर और सीनियर छात्रों के बीच बेहतर संबंध बनेंगे। एंटी रैगिंग कमेटी और स्क्वायड को कानूनी सलाहकार की सुविधा दी जाए, ताकि दोषियों के खिलाफ मजबूत केस बन सके। गंभीर मामलों में कॉलेज प्राचार्य और विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार को जवाबदेह ठहराया जाएगा। अगर किसी संस्थान में आत्महत्या या मौत से जुड़ा रैगिंग का मामला सामने आता है, तो संबंधित नियामक संस्था को जांच समिति बनानी होगी। पुलिस जांच के बावजूद यह समिति अलग से जांच करेगी। इसके लिए कानूनी विशेषज्ञ की नियुक्ति भी जरूरी होगी। इसके साथ एंटी रैगिंग निगरानी एजेंसी देशभर में औचक निरीक्षण करेगी। नियमों का पालन न करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।

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