रूपनगर जिले में स्थित थर्मल प्लांट पर पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। बोर्ड ने प्लांट की संचालन की अनुमति यानी ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ भी वापस ले ली है। यह आदेश 7 जुलाई को बोर्ड के चेयरमैन की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के बाद दिया गया है। बोर्ड ने प्लांट प्रबंधन को 15 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि जमा करने को कहा है। साथ ही जब तक यह आदेश कोर्ट से स्थगित नहीं होता, तब तक प्लांट को कोयले की नई सप्लाई नहीं मिलेगी। इसका असर प्लांट के कामकाज पर पड़ सकता है। जानें क्यों लिया बोर्ड ने फैसला व जांच यह मामला थल्ली गांव के किसान जगदीप सिंह की शिकायत के बाद शुरू हुआ। ये शिकायत जनवरी 2024 में की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि प्लांट से उड़ने वाली राख आसपास के घरों, खेतों और फसलों पर जम रही है। जिससे लोगों को नुकसान हो रहा है। इसके बाद मार्च 2025 में पीपीसीबी की टीम ने प्लांट का निरीक्षण किया और कई खामियां पाईं। राख का सही प्रबंधन नहीं जांच में पता चला कि प्लांट की राखबांध की दीवारें पक्की नहीं थीं। जिससे राख वाला पानी सतलुज नदी में जा सकता था। प्लांट से निकलने वाला अपशिष्ट बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे सामान्य नाले में डाला जा रहा था। वहाँ न तो तेल और पानी को अलग करने की व्यवस्था थी और न ही खतरनाक कचरे को संभालने का कोई सिस्टम था। इसके अलावा प्लांट द्वारा उत्पन्न राख का सिर्फ 36 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा था, जबकि बाकी राख का ठीक से निस्तारण नहीं हो रहा था। पीपीसीबी ने यह भी पाया कि प्लांट द्वारा दिए गए आंकड़े ठीक नहीं थे और रिकॉर्ड रखने में गड़बड़ी की गई थी। ऊपरी अधिकारियों से अपील करेगा प्लांट प्रबंधन प्लांट के चीप इंजीनियर हरीश कुमार शर्मा ने मीडिया से जानकारी सांझा की कि वह इस आदेश के खिलाफ ऊपरी अधिकारी के पास अपील करेंगे। उनका कहना है कि अधिकतर प्रक्रिया नियमों के अनुसार की जा रही थी, लेकिन बोर्ड की कुछ शर्तें व्यवहारिक रूप से पूरी कर पाना संभव नहीं था। इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त के दूसरे सप्ताह में होगी। तब तक प्लांट बिना संचालन अनुमति के रहेगा और उसे कोई नया कोयला नहीं मिलेगा। 840 मेगावॉट की स्थापित क्षमता है रोपड़ थर्मल प्लांट, गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल पावर प्लांट के नाम से जाना जाता है, वर्तमान में कुल 840 मेगावॉट (एमडब्ल्यू) की स्थापित क्षमता पर संचालित है। इस प्लांट की मौसमी उत्पादन क्षमता लगभग 680 एमडब्ल्यू तक पहुंचती है। शुरू में छह 210 एमडब्ल्यू की इकाइयों से संचालित यह प्लांट समय के साथ घटकर 840 एमडब्ल्यू तक सीमित हो गया है, जब दो पुरानी इकाइयों को बंद कर दिया गया। भविष्य में राज्य सरकार और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दो नई 800 एमडब्ल्यू सुपरक्रिटिकल यूनिट्स लगाने की योजना स्वीकृत हुई है, जिससे कुल उत्पादन क्षमता 2,440 एमडब्ल्यू हो जाएगी। नई यूनिट्स से ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि, पर्यावरणीय मानकों का पालन एवं संचालन लागत में कमी की उम्मीद जताई जा रही है। इस परियोजना से पंजाब की बढ़ती बिजली आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। तकनीकी उन्नयन से प्लांट का प्रदर्शन सुधरेगा।
रोपड़ थर्मल प्लांट पर पीपीसीबी की कार्रवाई:5 करोड़ का जुर्माना, संचालन की अनुमति रद्द; पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लगे आरोप
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