लाल लकीर में शहर के 12 गेट के अंदर वाली जगहें, ज्यादातर के पास रजिस्ट्रियां नहीं

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | अमृतसर चार साल पहले तत्कालीन सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने मेरा घर मेरे नाम योजना के तहत लाल लकीर वाली जगहों पर काबिज लोगों का मालिकाना हक देने की नीति लाई थी। कैबिनेट में भी योजना को पास किया जा चुका है मगर आप सरकार के 3 साल बीतने पर भी सिरे नहीं चढ़ पाई है। बेशक नेता लोगों को खुश करने के लिए ऐलान करते आए हैं। हालांकि इसकी ग्राउंड स्थिति यह है कि शहरी इलाकों में लाल लकीर वाली प्रॉपर्टी की निगम और ​रुरल इलाके के प्रॉपर्टी की जानकारी रेवेन्यू विभाग को नहीं है। चूंकि दोनों ही विभागों के पास लाल लकीर वाली पॉपर्टी का कंपाइल डेटा नहीं है। दोनों विभागों में उच्च अफसरों का कहना है कि लाल लकीर की प्रॉपर्टी का ऐसा कोई रिकार्ड उनके पास नहीं है। सर्वे कराने के बाद ही डेटा सामने आएगा कि लाल लकीर वाली प्रॉपर्टी कितने एकड़ हैं। हालांकि बीते 6 जुलाई को रेवेन्यू मंत्री हरदीप सिंह मुंडिया ने पायल में विधायक मनविंदर सिंह ग्यासपुरा के कार्यालय में आयोजित समारोह के दौरान ऐलान किया कि जिन परिवारों की रिहायशी जमीन लाल लकीर के अंदर आती है उन्हें अब मालिकाना हक दिया जाएगा। जिसके बाद फिर लोगों में उम्मीद जगी है कि जिस जगह पर बरसों से रह रहे हैं उनके नाम हो जाएगी। लाल लकीर में शहर के 12 गेट के अंदर वाली जगहें आती हैं। इनमें खजाना गेट, सुल्तानविंड गेट, हाथी गेट, लाहौरी गेट, भगतांवाला गेट व अन्य शामिल हैं। वहीं टेक्सटाइल्स एसोसिएशन के सूबा प्रधान कृष्ण कुमार कुक्कू ने कहा कि सरकारें चाहे तो 24 घंटे में मालिकाना हक दे सकती है। लेकिन ऐलान ही हो रहे हैं। यदि रजिस्ट्री हो रही तो उनका इंतकाल ही चढ़ाना है। सरकार ने कौन सा खुद की जगह देनी है। हालांकि ग्राउंड लेवल पर योजना को कब तक उतारा जा सकेगा इस बात का जवाब किसी भी उच्च अफसर के पास नहीं है। 11 अक्टूबर 2021 को तत्कालीन सीएम चरनजीत सिंह चन्नी ने जालंधर में ऐलान किया था कि मेरा घर मेरे नाम स्कीम शुरू की है। कैबिनेट बैठक में इस स्कीम पर मुहर लगाई जा चुकी है ।पहले यह स्कीम सिर्फ गांवों तक सीमित थी, लेकिन अब इसे शहरों में भी लागू किया जाएगा।ड्रोन के जरिए पंजाब सरकार नक्शा तैयार करेगी। जिसे उस गांव या शहर के हिस्से के बाहर लगा दिया जाएगा। लोगों को उस जमीन का मालिक बना दिया जाएगा। इसके बाद वो उस पर लोन लेने के अलावा उसे बेच भी सकेंगे। रेवेन्यू विभाग के जानकार और सीनियर एडवोकेट महिंदर पाल गुप्ता बताते हैं कि लाल लकीर में गांवों की आबादी वाली जगह आती है। जिसमें लोगों का कब्जा बरसों पुराना चला आ रहा है। कई लोगों के पास मलकीयत के तौर पर रजिस्ट्रियां हैं, जबकि ज्यादातर के पास रजिस्ट्री नहीं भी है। लाल लकीर वाली प्रॉपर्टी जिनकी रजिस्ट्री हो चुकी या हो रही है, उनका मालिकाना हक साबित करने के लिए इंतकाल का चढ़ाया जाना जरूरी नहीं है। लाल लकीर वाली जगहों का कोई रिकार्ड रेवेन्यू विभाग के पास नहीं होता है। लाल लकीर वाली जगह जिनकी रजिस्ट्री भी नहीं हुई और कोई भी रिकार्ड नहीं है, बरसों से सिर्फ कब्जा चला आ रहा हो, संबंधित लोग एग्रीमेंट के जरिए बेच देते हैं। ऐसे में उन्हें लाल लकीर वाली जगह का मालिकाना हक नहीं मिल पाता है। उदाहरण के तौर पर वाल्ड सिटी में सारी प्रॉपर्टी लाल लकीर में आती है। जिसकी रजिस्ट्री भी लोग कर रहे हैं। ऐसे में उनके पास इसका मालिकाना हक है। हालांकि इनकी रजिस्ट्री का भी इंतकाल नहीं होता है।

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