पंजाब के लुधियाना में एक ऐसा बुजुर्ग दंपती जोड़ा है जिसने जिंदगी के कई उतार चढ़ाव देखे और विपरीत परिस्थितियों में को चुनौती देते हुए ब्लड कैंसर की लड़ाई लड़ी। ऋषि नगर की वीना सूद 3 दशकों से ये लड़ाई लड़ रही। 68 वर्षीय वीना सूद पंजाब नेशनल बैंक(PNB) से सेवानिवृत है। 75 वर्षीय उनके पति विनोद सूद भी PNB से सेवानिवृत है। वीना को जब पता लगा कि उन्हें ब्लड कैंसर की बीमारी ने चपेट में ले लिया है, तब पति ने उन्हें टूटने नहीं दिया। पति के हौंसले ने उन्हें जिंदगी की लड़ाई लड़ने की ताकत दी। 30 वर्षों से वह लगातार कैंसर की बीमारी से लड़ रही है। कैंसर की बीमारी को कंट्रोल कर अब एक नियमित जीवन व्यतीत कर रही है। लुधियाना के ऋषि नगर की वीना सूद अब घर के काम संभालती है और इस लड़ाई के बावजूद जीवन का आनंद लेती हैं। वीना के अनुसार, उनके पति 75 वर्षीय विनोद सूद इस पूरे संघर्ष में उनका मुख्य सहारा रहे है। जबकि उनकी दो बेटियों, दामादों और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी अपनी भूमिका निभाई। 20 फरवरी 1995 में अचानक बैंक में डयूटी दौरान हुआ पीठ में दर्द कैंसर से लड़ी लड़ाई की इस यात्रा को साझा करते हुए विनोद सूद ने बताया कि 20 फरवरी 1995 में जब उनकी पत्नी लुधियाना के चौड़ा बाजार इलाके में एक बैंक शाखा में तैनात थीं, उन्हें पीठ में दर्द हुआ। उन्होंने आगे बताया कि जब वे चेकअप के लिए एक हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास गए और खून की जांच करवाई, तो डॉक्टर ने पाया कि उनकी पत्नी इस बीमारी से पीड़ित हो सकती है और उन्होंने आगे की जांच कराने की सलाह दी। PGI ने कहा था- वर्षों बाद भी नहीं है इलाज,सिर्फ 5 साल का बचा है जीवन विनोद ने कहा बाद में, हम इस बीमारी की आगे की जांच के लिए गए और बोन मैरो टेस्ट करवाया, जिससे पुष्टि हुई कि उन्हें यह बीमारी है। फिर हम पीजीआई चंडीगढ़ गए, और वहां भी बोन मैरो और खून की जांच के आधार पर इसकी पुष्टि हुई। स्थानीय डॉक्टरों और पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने हमें बताया कि उन वर्षों के दौरान इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं था। उस समय, डॉक्टरों ने घोषणा की थी कि वह तीन से पांच साल और जीवित रहेगी। उसके बाद, हमने अप्रैल 1995 में पीजीआई चंडीगढ़ के सहयोग से एक स्थानीय अस्पताल (सीएमसीएच) में इलाज शुरू किया। 1997 में हुई बांई किडनी निष्क्रिय विनोद सूद ने कहा कि उन्हें क्रोनिक यूटीआई का पता चला और उसी समय उसका इलाज भी शुरू हो गया। 1997 में वीना की बांई किडनी निष्क्रिय हो गई। 1995 में कैंसर का पता चलने के बाद, वीना को कई महीनों तक इसके बारे में बताया नहीं गया। इसलिए मेरे लिए चुनौती यह थी कि उन्हें इसके बारे में कैसे वीना को बताए। बाद में, सीएमसीएच के एक डॉक्टर ने वीना को बहुत ही सहयोगात्मक तरीके से यह बात बताई और वीना के लिए यह एक भावनात्मक झटका था। विनोद के मुताबिक उस समय उनकी बड़ी बेटी हिना और छोटी बेटी शिखा हाई स्कूल में थी। विनोद सूद ने कहा कि उन्हें पता था कि उनकी बेटियां छोटी है और मां की इस बीमारी के बारे में यदि उन्हें पता चलेगा तो उनके विकास पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, वह चाहते थे कि उनकी पत्नी की जीने की उम्मीद खत्म न हो। उन्होंने आगे कहा कि उनका काम यह सुनिश्चित करना था कि उनकी पत्नी प्रेरित और उत्साहित रहें। परिवार के सभी सदस्यों ने न केवल उनके प्रति सहानुभूति दिखाई, बल्कि उनके साथ सहानुभूति रखकर उनके दर्द को महसूस करने की भी कोशिश की। 2001 में ग्लिवेक 400 क्लिनिकल परीक्षण के लिए अंतिम दिन पहुंचे थे ऑस्ट्रेलिया वीना और विनोद सूद ने बताया कि 2001 में, उन्होंने एक अखबार में पढ़ा कि CML दवा “मैजिक बुलेट” (व्यापारिक नाम ग्लिवेक 400) का क्लिनिकल परीक्षण ऑस्ट्रेलिया में अंतिम चरण में था। बाद में उन्हें पता चला कि उनका एक दूर का रिश्तेदार वहां उस कंपनी के साथ काम कर रहा था। उन्होंने बताया कि परीक्षणों में शामिल होना आसान नहीं था, और उन्हें याद है कि ईश्वर की कृपा से उनका पंजीकरण आखिरी दिन हुआ था। विनोद सूद ने कहा कि बाद में, 2001 से 2004 तक, हमारे रिश्तेदार भारत में लॉन्च होने से पहले ऑस्ट्रेलिया से हमारे लिए दवा भेजते थे। यह दवा कैंसर कोशिकाओं पर असर करती थी और इसका इस्तेमाल इलाज और नियंत्रण के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जाता था। इसके दुष्प्रभाव थे, लेकिन अन्य दवाओं की तुलना में कम थे। उन्होंने 2014 तक यह दवा ली, उसके बाद एक नई दवा लॉन्च हुई और बाद में दवा के परिष्कृत संस्करण आए। अब तक, जिस बैंक में वह काम करती थीं, उसने उनकी दवाओं के लिए 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा की राशि वापस कर दी है, जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। विनोद ने कहा कि इस बीच, मुझे एक बड़ा दिल का दौरा पड़ा, लेकिन उस दौरान भी, मैंने यह सुनिश्चित किया कि वीना का इलाज जारी रहे। विनोद ने बताया कि वह राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों में अपने बैंक का प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन अपनी पत्नी के कैंसर का पता चलने के बाद उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया। दोनों बेटियां है लेक्चरर वीना सूद की बड़ी बेटी, हिना गोयल, जो पीएयू में लेक्चरर हैं। बेटियों ने बताया कि उनकी मां घर के काम संभालती है। शुद्ध शाकाहारी खाना बनाती हैं और मेथे चावल, कड़ी चावल, बेसन की बर्फी व अन्य व्यंजन बनाती हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें और उनकी बहन शिखा वर्मा को अपनी मां की बीमारी के बारे में कॉलेज में रहते हुए पता चला। 37 साल की उम्र में कैंसर का पता चला
वीना सूद ने कहा कि कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए उनका संदेश है कि वे डरें नहीं और मुश्किल समय भी बीत जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए और कोई न कोई रास्ता जरूरत निकल आएगा। 37 साल की उम्र में कैंसर का पता चलने के बावजूद, उन्होंने 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने से पहले अपनी नौकरी नहीं छोड़ी। हम खुद को एक धन्य दंपत्ति की तरह महसूस करते हैं
विनोद और वीना सूद ने कहा कि वे पीजीआई चंडीगढ़ में सर्वाइवर मीटिंग में जाते हैं और खुद को एक धन्य दंपत्ति की तरह महसूस करते हैं, क्योंकि मरीज उनसे सलाह मांगते हैं। उनका एक यूट्यूब चैनल है जहां वे अपने गाए गाने अपलोड करते हैं और वे कठिनाइयों के बावजूद जीवन को पूरी तरह से जीने के लिए नए उत्साह और ऊर्जा से प्रेरित महसूस करते है। यह दंपत्ति खुद को धन्य महसूस करते है और इतने वर्षों तक डॉक्टरों के सहयोग के लिए उनके ऋणी हैं। यह सब उस परम शक्ति में उनके अटूट विश्वास के कारण संभव हुआ जिसने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन किया। क्या है क्रोनिक माइलॉयड (माइलोजेनस) ल्यूकेमिया (सीएमएल) क्रोनिक माइलॉयड (माइलोजेनस) ल्यूकेमिया (सीएमएल) एक रक्त कैंसर है, जो आपके अस्थि मज्जा में रक्त बनाने वाली माइलॉयड कोशिकाओं या स्टेम कोशिकाओं में शुरू होता है। सेहत सेवा प्रदाता सीएमएल का इलाज नवीन उपचारों से करते हैं, जिन्होंने सीएमएल को एक संभावित जानलेवा बीमारी से एक दीर्घकालिक बीमारी में बदल दिया है।
लुधियाना की कैंसर फाइटर वीना की स्टोरी:डाक्टर ने कहा था 5 वर्ष का है जीवन; 30 वर्षों से कर रही संघर्ष, परिवार का मिला साथ
2