लुधियाना में आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वड़िंग:सांसद अमरिंदर करेंगे लैंड पूलिंग योजना का विरोध, ग्लाडा दफ्तर के बाहर देंगे धरना

by Carbonmedia
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पंजाब के लुधियाना में आज पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ग्लाडा दफ्तर के बाहर धरना देंगे। उनके साथ जिला कांग्रेस कमेटी के समस्त नेतागण मौजूद रहेंगे। धरना सुबह 11 बजे शुरू किया जाएगा। पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई लैंड पूलिंग योजना के खिलाफ ये प्रोटेस्ट किया जाएगा। राजा वड़िंग ने कांग्रेस के समस्त नेताओं और वर्करों से अपील की है कि वह इस धरने में बढ़-चढ़कर पहुंचे। क्या है लैंड पूलिंग योजना
पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग नीति, 2025 का उद्देश्य 40,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि को पूल करके नियोजित शहरी विकास को बढ़ावा देना है। यह नीति भूमि मालिकों को उनकी पूल की गई भूमि के बदले में विकसित आवासीय और व्यावसायिक भूखंड प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान के सरकारी आवास पर एक महीने पहले हुई पंजाब सरकार की कैबिनेट बैठक में लैंड पूलिंग पॉलिसी को मंजूरी दी है। सरकार ने इस पॉलिसी के बारे में जानकारी देते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी किसान से जबरन जमीन नहीं ली जाएगी और वह खुद डिवेलपर बन सकता है। पंजाब सरकार का दावा है कि नई लैंड पूलिंग पॉलिसी किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आई रही है। पहले फेज में इसे राज्य के 27 प्रमुख शहरों में लागू किया जा रहा है। खुद मंत्री अमन अरोड़ा ने बैठक के बाद पॉलिसी की जानकारी करीब 1 महीना पहले मीडिया को दी थी। जिसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई में बनाई गई यह नीति किसानों को न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। बल्कि उनकी जमीन को सुरक्षित रखने और उसका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक ठोस कदम है। स्वैच्छिक नीति पर दिया गया जोर
मंत्री अमन अरोड़ा ने बैठक के बाद पॉलिसी के मुख्य बिंदुओं की जानकारी दी थी। उनका कहना है कि सबसे बड़ी बात, यह पूरी तरह स्वैच्छिक नीति है। यानी कोई भी किसान अगर अपनी जमीन देना चाहता है, तभी यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी किसान पर जमीन देने का कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। किसान को अपनी जमीन सरकार को देने के लिए पहले लिखित सहमति (NOC) देनी होगी। जब तक किसान यह सहमति नहीं देता, तब तक न तो कोई योजना लागू होगी और न ही कोई निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इस पॉलिसी का मकसद किसानों की जमीन को लैंड माफिया या प्राइवेट बिल्डरों से बचाना है। अब तक ऐसा होता रहा है कि प्राइवेट डेवलपर्स कम कीमत पर किसानों की जमीन खरीदकर बाद में उसे कई गुना कीमत पर बेचते थे। इससे सारा फायदा प्राइवेट कंपनियों को मिलता था और किसान वहीं का वहीं रह जाता था। नई लैंड पूलिंग नीति में इसे बदल दिया गया है। अब किसान सीधे सरकार से समझौता करेगा, न कि किसी प्राइवेट डेवलपर से। सरकार किसानों की जमीन को आधुनिक सुविधाओं से लैस करके उन्हें उसका एक हिस्सा डेवलप्ड प्लॉट के रूप में लौटाएगी। इसका अर्थ है कि अब किसान को उसकी जमीन का असली मूल्य मिलेगा, वह भी पूरी पारदर्शिता के साथ।

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