वकीलों को समन भेजने के लिए एजेंसियों को लेनी होगी मजिस्ट्रेट से अनुमति? सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी सुनवाई SG मेहता बोले- अनुच्छेद-14 का उल्लंघन…

by Carbonmedia
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को कहा कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ वकील की भूमिका निभा रहा है, तो जांच एजेंसियों को उसे जांच का सामना कर रहे अपने मुवक्किल को कानूनी सलाह देने के लिए तलब नहीं करना चाहिए. हालांकि, अगर कोई वकील अपराध में मुवक्किल की मदद कर रहा है, तो उसे समन भेजा जा सकता है.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच जांच के दौरान कानूनी सलाह देने या मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को जांच एजेंसियों की ओर से तलब किए जाने से जुड़े स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी.
बेंच ने कहा, ‘हमने शुरू में ही कहा था कि अगर कोई (वकील) अपराध में मुवक्किल की मदद कर रहा है, तो उसे तलब किया जा सकता है… लेकिन केवल कानूनी सलाह देने के लिए नहीं.’ बेंच ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) जैसे बार निकायों की दलीलें सुनीं, जिनका प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट विकास सिंह और वकील विपिन नायर ने किया.
विकास सिंह एससीबीए के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि मनमाने ढंग से समन जारी किए जाने से कानूनी पेशे पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा, ‘अगर वकीलों को सिर्फ मुवक्किलों को सामान्य कानूनी सलाह देने के लिए समन भेजा जाने लगे, तो कोई भी (वकील) संवेदनशील आपराधिक मामलों में सलाह देने का साहस भी नहीं कर पाएगा.’
विकास सिंह ने मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की ओर से अपनाए गए सुरक्षा उपायों के समान सुरक्षा उपाय लागू करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि किसी वकील को तलब करने की अनुमति जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) से ली जानी चाहिए और फिर इसे जारी करने से पहले न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से इसकी जांच की जानी चाहिए.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस बात से सहमत थे कि वकीलों को सिर्फ कानूनी सलाह देने के लिए नहीं तलब किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वकील और मुवक्किल के बीच संचार के विशेषाधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए.
तुषार मेहता ने ऐसे उपाय लागू करने के प्रति आगाह किया, जिससे असमानता पैदा हो सकती है. उन्होंने कहा, ‘सिर्फ वकीलों को तलब करने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति पर बाकियों के लिए नहीं, यह अनुच्छेद-14 का उल्लंघन हो सकती है.’
बेंच ने निर्देश दिया कि एससीबीए और एससीएओआरए की ओर से पेश लिखित सुझाव तीन दिन के अंदर सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल को भेजे जाएं. मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की गई है, जब केंद्र अपना पक्ष रखेगा.

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