आजकल के डिजिटली एनवायरनमेंट में वर्क प्लेस पर स्ट्रेस बढ़ रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार स्ट्रेस संबंधी डिसऑर्डर अब दुनियाभर में प्रोफेशन दिक्कतों के बीच बड़ी समस्या बनकर उभरा है. लगातार वर्क, डेडलाइन, जाॅब सिक्योरिटी जैसी कुछ वजहों से कर्मचारियों में निराशा बढ़ रही है. ऐसे में इसका असर उनकी प्रोडक्टिविटी के साथ फैमिली पर भी देखने को मिल सकता है. ऐसे में किस तरह इसको बैलेंस किया जा सकता है. आइए जानते हैं
इसलिए बढ़ रहा स्ट्रेस
हमेशा काम से जुड़े रहना: डिजिटली फ्रेमवर्क में कंपनी की कर्मचारी तक पहुंच आसान हो गई है. स्मार्टफोन पर चैट से बातचीत और मोबाइल से ही ईमेल आदि सुविधाएं इतनी आम हो गई हैं कि वह लगातार इनसे जुड़ा रहता है. व्यक्ति जाॅब पर हो या नहीं, लेकिन वह कंपनी के काम से हमेशा जुड़ा रहता है. इससे प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में डिस्टर्बेंस बढ़ता है.
जाॅब जाने का डर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी का दाैर और कंपनियों की ओर से लगातार कम की जा रही कर्मचारियों की संख्या के चलते हमेशा फ्यूचर को लेकर डर सताता रहता है. इससे स्ट्रेस लेवल बढ़ता है, जिसका हेल्थ पर असर पड़ता है.
कमजोर साबित होने का डर: वर्कप्लेस पर स्ट्रेस और मेंटल हेल्थ से जूझने के बाद भी कंपनी मैनेजमेंट से इसको लेकर डिस्कस करने से कर्मचारी बचते हैं. उन्हें लगता है कि उनकी समस्या को गंभीरता से लेने के बजाय उन्हें कमजोर करार दे दिया जाएगा.
वर्कप्लेस पर स्ट्रेस दूर करने के लिए उठाने होंगे ये कदम
फ्लेक्सी वर्क पाॅलिसी: वर्कप्लेस पर कर्मचारियों को ऐसा माहाैल मिलना चाहिए, जिसमें वह काम करने की आजादी महसूस करें. ऐसे में उन्हें अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बनाने में मदद मिलगी. वह घर पर बच्चों, बुजुर्गों आदि की देखभाल की जिम्मेदारी निभा सकेंगे, जिससे उनका स्ट्रेस लेवल कम होगा.
वेलनेस प्रोग्राम शुरू होने चाहिए: कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ के लिए कुछ इनीशिएटिव शुरू होने चाहिए. जैसे 24 घंटे वर्क करने वाली मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन, कर्मचारियों की काउंसलिंग, मेंटल हेल्थ एप आदि. इनको इस तरह डेवलप किया जाएगा कि ये सभी की पहुंच में आसानी से हों. इसको लेकर कर्मचारियों को प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए.
मेंटल हेल्थ के ट्रेनिंग सेशन: किसी भी शारीरिक संकट की चुनाैतियों से निपटने के लिए वर्कप्लेस पर ट्रेनिंग सेशन होते रहते हैं. इसमें हार्ट अटैक या फिर अन्य किसी हेल्थ प्राॅब्लम से किस तरह निपटा जाए, जरूरत पड़ने पर किस फर्स्ट एड दी जाए आदि के बारे में बताया जाता है. इसी तरह मेंटल हेल्थ के भी सेशन होने चाहिएं.
कर्मचारियों से निरंतर बातचीत: कंपनी में टाॅप लीडर को कर्मचारियों से लगातार बातचीत करती रहती चाहिए. कर्मचारियेां के लिए सहायता ग्रुप बनाने चाहिए और ऐसा माहाैल बनाना चाहिए जिसमें कर्मचारी खुलकर अपनी बात रख सके. बिहेवियर को लेकर न सिर्फ एक खास दिन बल्कि डेली चर्चा चाहिए.
गुड परफाॅर्मेंस पर मिले रिवाॅर्ड: वर्कप्लेस पर अच्छा काम करने पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. टीम भावना को बढ़ावा देना चाहिए.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.