वसुंधरा राजे का सियासी दर्द आया बाहर! इन दो नेताओं का नाम लेकर छेड़ दी नई चर्चा?

by Carbonmedia
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Vasundhara Raje News: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर सांवरलाल जाट की प्रतिमा के अनावरण समारोह में भावुक होकर जो बातें कहीं थीं, अब उसके सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं. वसुंधरा राजे का यहां दिया हुआ भाषण सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस भाषण के अलग-अलग हिस्सों को लेकर लोग अपने-अपने हिसाब से कमेंट भी कर रहे हैं. 
वैसे ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि वसुंधरा राजे ने यहां ‘मौसम और इंसान कब बदल जाएं, कुछ पता नहीं’ के साथ ही ‘आजकल की दुनिया जरा अलग सी है और प्रोफेसर भंवरलाल जाट और भैरव सिंह शेखावत अगर जिंदा होते तो मेरी मदद करते’ जैसे वाक्यों का इस्तेमाल अनायास ही नहीं किया, बल्कि इन शब्दों के जरिए सियासी संदेश भी देने की कोशिश की. 
लोगों का यह भी मानना है कि बीजेपी और राजस्थान की सियासत में जो कुछ हो रहा है, उससे वसुंधरा राजे कतई खुश नहीं हैं. अजमेर के कार्यक्रम में उन्होंने इशारों में अपनी पीड़ा को बयां किया है. 
वसुंधरा राजे ने बयां किया दर्ददरअसल, वसुंधरा राजे रविवार को अजमेर में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर सांवरलाल जाट की प्रतिमा के अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं. यहां उन्होंने एक बड़ी बात कही. वसुंधरा राजे ने कहा, “मौसम और इंसान कब बदल जाएं, कोई भरोसा नहीं. आजकल राजनीति में लोग नई दुनिया बसा लेते हैं, एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं, पर प्रो.सांवर लाल जाट ऐसे नहीं थे. वे मरते दम तक मेरे साथ थे.”
स्वर्गीय नेताओं को वसुंधरा राजे ने किया यादवसुंधरा राजे ने इस कार्यक्रम में आगे कहा कि उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, स्व. प्रो.सांवर लाल जाट जी और स्व. डॉ.दिगंबर सिंह जी के चले जाने से मेरा बहुत नुकसान हुआ. ये लोग मेरी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे. यह लोग जीवित होते तो आज भी मेरी मदद करते. अपने भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि- आजकल की दुनिया जरा अलग सी हो गई है. 
ऐसा नहीं कि वसुंधरा राजे ने यह सारी बातें भावुक होकर अनायास ही कह दीं. अपनी स्पीच का ज्यादातर हिस्सा वह कागज पर नोट करके ले आई थीं. ज्यादातर बातें उन्होंने कागज पर लिखे हुए शब्दों को पढ़कर ही बोलीं. इतना ही नहीं, मौसम और इंसान बदलने के साथ ही पुराने नेता जीवित होते तो आज भी मेरी मदद करते जैसी बातों को उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखकर पोस्ट भी किया. 
किसे संदेश देना चाहती हैं वसुंधरा राजे?मतलब साफ है कि जो बातें उन्होंने कहीं उसे वह अपने लोगों के बीच प्रचारित भी करना चाहती थीं. यह तो साफ है कि अजमेर के कार्यक्रम में दिए गए भाषण से वसुंधरा राजे ने सियासी तीर चलाकर निशाना साधने की कोशिश की. हालांकि यह साफ नहीं है कि वसुंधरा के निशाने पर कौन है और किसे वह अपना संदेश देना चाहती हैं.

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