विमान हादसे का नहीं बना कोई स्मारक:दादरी में 349 लोगों की हुई थी मौत, अस्पताल शुरू करने-कब्रिस्तान के सौंदर्यीकरण की उठाएंगे मांग

by Carbonmedia
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चरखी दादरी में करीब 29 साल पहले हुए देश के सबसे बड़े विमान हादसे में 349 लोगों ने जान गंवाई थी। मरने वाले लोगों की याद में यहां ना ही कोई स्मारक स्थल और ना ही कोई दूसरी निशानी। यहां तक की अस्थाई तौर पर शुरू किया गया अस्पताल भी काफी समय पहले बंद हो चुका है। केवल जिस कब्रिस्तान में करीब 231 शवों को दफनाया गया था वहां तीन बोर्ड लगे हैं लेकिन कब्रिस्तान भी दयनीय हाल में है। इन सब को देखते हुए इस बार आगामी नंवबर में हादसे की बरसी पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर उच्च अधिकारियों व सरकार के प्रतिनिधियों से मिलकर इसकी सुध लेने की मांग की जाएगी। दादरी में हुआ था देश का सबसे बड़ा विमान हादसा
बता दे कि 12 नंवबर 1996 को सऊदी अरब का यात्री विमान और कजाकिस्तान का मालवाहक विमान आसमान में टकरा गए थे। जिसके बाद यात्री विमान गांव टिकान कलां के खेतों में व दूसरा विमान बिरोहड़ गांव के समीप पड़ा था। इस हादसे में दोनों हवाई जहाजों में सवार सभी 349 लोगों की मौत हो गई थी। यह अब तक का देश का सबसे बड़ा विमान हादसा था। नहीं बना स्मारक स्थल
विमान हादसे में मरने वाले लोगों की याद में सऊदी अरब व स्थानीय प्रशासन द्वारा स्मारक स्थल बनाने का भी प्रयास किया गया लेकिन जमीन नहीं मिलने व दूसरे कारणों के चलते वह सिरे नहीं चढ़ पाया। लंबा समय होन के बाद लोग इस हादसे को भूलने लगे थे लेकिन अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश ने इस हादसे की यादों को ताजा कर दिया और एक सप्ताह से स्थानीय लोगों की जुबान पर इस हादसे का जिक्र है।
अस्पताल किया गया था शुरू
हादसे में सऊदी अरब के विमान एसवीए 763 के पायलट खालिद अल सुबैली की भी मौत हुई थी। माना जा रहा है कि पायलट ने अंतिम समय तक शहर व आबादी वाले क्षेत्र को बचाने के लिए संघर्ष किया और विमान रिहायशी एरिया से दूर गिरा। जिससे विमान में सवार लोगों के अलावा जमीन पर जनहानि नहीं हुई। पायलट के नाम से सऊदी अरब द्वारा अस्थाई तौर पर अस्पताल शुरू कर चिकित्सा सेवाएं शुरू की। बाद में दादरी में जमीन खरीदकर बड़े स्तर पर अस्पताल शुरू करने की बात सामने आई थी लेकिन किन्हीं कारणों के चलते अस्थाई रूप से चल रहा अस्पताल भी बंद हो गया।
मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के प्रधान मोहम्मद शरीफ ने बताया कि अस्पताल करीब तीन-चार साल चला और उसका पूरा खर्चा सऊदी अरब से ही वहन किया जाता था। इस अस्पताल में अच्छी चिकित्सा सुविधा मिल रही थी और बड़े स्तर पर अस्पताल शुरू होने वाला था लेकिन प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने उसे यहां टिकने नहीं दिया। वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना है कि उस दौरान दादरी कस्बा टाइप था और अस्पताल में सेवाएं देने वाले लोगों को यहां रहने में उस प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल पाई जो वे चाहते थे। जिसके चलते वह लंबे समय तक नहीं चल सका। 12 नंवबर को करेंगे कार्यक्रम
मोहम्मद शरीफ ने बताया कि अब तक विमान हादसे की बरसी पर कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया है। लेकिन इस बार कार्यक्रम आयोजित करने का विचार है। उन्होंने कहा कि सरकार व एंबेसी से मिलकर अस्पताल को दोबारा से शुरू करने की मांग करेंगे और कब्रिस्तान के सौंदर्यीकरण की मांग करेंगे। शरीफ ने बताया कि विमान हादसे में मरने वाले लोगों को शहर के चिड़िया मोड़ स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया था। यहां विमान हादसे मे मरने वाले लोगों के जानकार विदेश से भी आते रहते हैं। लेकिन यह कब्रिस्तान दयनीय हाल में है और यहां बारिश होने पर सिवर का पानी भर जाता है और कब्रें बैठ जाती है। सरकार से मांग करेंगे की कब्रिस्तान का सौंदर्यीकरण किया जाए।

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