वेंटिलेटर का नाम सुनते ही क्यों घबराने लगते हैं लोग, जानें ये कब होता है इस्तेमाल

by Carbonmedia
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Fear of Ventilator: अगर किसी मरीज के इलाज के दौरान डॉक्टर कह दें कि अब वेंटिलेटर की जरूरत है, तो ज्यादातर लोगों के चेहरे का रंग फीका पड़ जाता है. घरवाले घबरा जाते हैं, मरीज की हालत को लेकर डर और चिंता और भी बढ़ जाती है. दरअसल, “वेंटिलेटर” शब्द सुनते ही मन में एक डर बैठ जाता है कि अब स्थिति बेहद गंभीर है या शायद अब बचना मुश्किल है. लेकिन क्या वाकई वेंटिलेटर का मतलब हमेशा यही होता है? क्या यह सिर्फ अंतिम चरण का इलाज होता है या फिर एक जरूरी मेडिकल सपोर्ट सिस्टम है? इसलिए हम जानेंगे कि वेंटिलेटर का असली मतलब क्या होता है, यह कब और क्यों इस्तेमाल किया जाता है और क्यों इससे जुड़ा डर हमें दूर कर देना चाहिए.
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वेंटिलेटर की कब जरूरत पड़ती है ?
सर्जरी के दौरान या बाद में, जब मरीज बेहोश हो और खुद से सांस न ले पा रहा हो
कोमा या ब्रेन हेमरेज जैसी स्थिति में, जब मस्तिष्क सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित नहीं कर पा रहा हो
गंभीर निमोनिया, कोरोना, या फेफड़ों की बीमारी में, जब फेफड़े ऑक्सीजन को सही तरीके से प्रोसेस नहीं कर पाते
एक्सीडेंट या ट्रॉमा के बाद, जब शरीर को स्थिर रखने के लिए कृत्रिम सांस की जरूरत होती है
लोग वेंटिलेटर से क्यों डरते हैं?
मनोवैज्ञानिक डर: आम लोगों के बीच वेंटिलेटर को अंतिम समय का संकेत मान लिया गया है. जब किसी को वेंटिलेटर पर रखा जाता है, तो लोगों को लगता है कि अब उम्मीद कम है.
अज्ञानता: बहुत से लोग नहीं जानते कि वेंटिलेटर केवल एक सपोर्ट सिस्टम है, न कि मृत्यु की पुष्टि. यह एक अस्थायी सहायता है, जिससे शरीर को रिकवर करने का समय दिया जाता है.
मीडिया और फिल्मों का प्रभाव: फिल्मों और टीवी शोज़ में वेंटिलेटर को अकसर मौत से जोड़कर दिखाया गया है, जिससे लोगों की सोच प्रभावित होती है.
वेंटिलेटर का सही नजरिया
हकीकत ये है कि वेंटिलेटर ने लाखों लोगों की जान बचाई है. यह एक मेडिकल सहारा है जो शरीर को सांस लेने में मदद करता है, ताकि मरीज की हालत स्थिर हो सके और उसे इलाज का समय मिल सके. कई बार मरीज कुछ दिनों में ही वेंटिलेटर से हट जाता है और पूरी तरह ठीक हो जाता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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