वेद, योग और विज्ञान का संगम: भारतीय शिक्षा के प्राचीन मूल्यों को पुनर्जीवित कर रहा पतंजलि गुरुकुलम

by Carbonmedia
()

आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में शिक्षा का स्वरूप बदल गया है. किताबी ज्ञान और नौकरी की दौड़ ने नैतिकता और संस्कारों को पीछे छोड़ दिया है. पतंजलि का कहना है कि उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित पतंजलि गुरुकुलम इस बदलाव को रोकने की कोशिश कर रहा है.  यह संस्था प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के शाश्वत मूल्यों को पुनर्जीवित कर रही है, जहां वेद, योग और आधुनिक विज्ञान का सुंदर संगम हो. इसका उद्देश्य बच्चों को सिर्फ़ डिग्री नहीं, बल्कि जीवन के सच्चे मूल्य सिखाना है.
प्राचीन काल में गुरुकुल भारतीय शिक्षा का केंद्र थे. वहां छात्र गुरु के आश्रम में रहते थे और संस्कृत, वेद-वेदांग, दर्शन और नैतिकता सीखते थे. प्रकृति के बीच ध्यान, योग और सेवा से उनका चरित्र मजबूत होता था. लेकिन ब्रिटिश काल में अंग्रेजी शिक्षा ने इन गुरुकुलों को कमजोर कर दिया.
पुरानी परंपरा को जीवंत कर रहा पतंजलि गुरुकुलम
पतंजलि का दावा है, ”आज फिर से पतंजलि गुरुकुलम उसी परंपरा को जीवंत कर रहा है. यहां 250 से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जो देवप्रयाग, योगग्राम और पतंजलि योगपीठ के तीनों केंद्रों में बंटे हैं. छात्रों को सुबह उठकर योगासन, प्राणायाम और संस्कृत पाठ पढ़ाया जाता है. दोपहर में गणित, विज्ञान और कंप्यूटर जैसी आधुनिक विषयों की कक्षाएं होती हैं. शाम को वेद मंत्रों का जाप और सेवा कार्य शामिल है. यह संतुलन बच्चों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है.”
पतजंलि ने बताया, ”पतंजलि गुरुकुलम के छात्रों में नेतृत्व क्षमता और संतोषी स्वभाव दिखता है. यहां हिंदी, संस्कृत के अलावा अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच जैसी विदेशी भाषाएं भी सिखाई जाती हैं. लेकिन मुख्य फोकस भारतीय संस्कृति पर है. स्वामी रामदेव कहते हैं कि यह शिक्षा प्रणाली बच्चों को पश्चिमी भौतिकवाद से बचाएगी और सच्चे भारतीय बनाएगी. संस्था का मानना है कि आधुनिक शिक्षा बाजार-केंद्रित हो गई है, जबकि गुरुकुल मूल्य-केंद्रित है. यहां छात्रों को आत्म-जागरूकता, विनम्रता और सत्य का पाठ पढ़ाया जाता है.”
राष्ट्र निर्माण का हिस्सा है यह प्रयास- आचार्य बालकृष्ण
पतंजलि योगपीठ के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण बताते हैं, ”यह प्रयास राष्ट्र निर्माण का हिस्सा है. गुरुकुलम में कला, शिल्प और खेल भी शामिल हैं, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं. इस पहल से कई लाभ हो रहे हैं. छात्रों में अनुशासन बढ़ा है और वे तनावमुक्त रहते हैं. अभिभावक भी खुश हैं क्योंकि उनके बच्चे नैतिकता के साथ आधुनिक ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं.”
पतंजलि का दावा है, ”गुरुकुलम न सिर्फ़ शिक्षा दे रहा है, बल्कि भारतीय संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचा रहा है. लेकिन चुनौतियां भी हैं. आधुनिक सुविधाओं को प्राचीन परंपराओं से जोड़ना आसान नहीं. फिर भी यह प्रयास सराहनीय है. जैसे-जैसे गुरुकुलम फैल रहा है, उम्मीद है कि भारतीय शिक्षा फिर से अपनी जड़ों से जुड़ेगी. यह पुनरुद्धार न सिर्फ़ छात्रों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए आशा की किरण है.”

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment