सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शहादरा में एक गुरुद्वारे को लेकर दाखिल दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट का कहना है कि जब वहां पहले से एक धार्मिक स्ट्रक्चर है तो उसको रहने दीजिए. वक्फ बोर्ड ने दिल्ली हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल की थी, जिसमें हाईकोर्ट ने प्रतिवादी के हक में फैसला सुनाया था. प्रतिवादी का कहना है कि यह जमीन साल 1953 में उन्हें बेची गई थी.
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने वक्फ बोर्ड से कहा कि उन्हें खुद ही अपना दावा वापस ले लेना चाहिए. याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट संजय घोष ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी माना था कि वहां मस्जिद थी, लेकिन अब वहां किसी तरह का गुरुद्वारा है. इस पर कोर्ट ने वकील से कहा कि किसी तरह का नहीं, वहां उचित रूप से फंकशनिंग गुरुद्वारा है.
जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, ‘उस जमीन पर गुरुद्वारा है, जो फंकशनिंग भी है. जब वहां गुरुद्वारा है तो उसको रहने दें. एक धार्मिक स्ट्रक्चर वहां पहले से मौजूद है तो आपको खुद अपना दावा वापस ले लेना चाहिए.'
वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विवादित स्थल पर मस्जिद तकिया बब्बर शाह नाम की मस्जिद थी. उन्होंने कहा कि यह मस्जिद अनादि काल से मौजूद थी और धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित थी. हालांकि, प्रतिवादी का दावा है कि साल 1953 में विवादित संपत्ति को उसके मालिक मोहम्मद एहसान ने उन्हें बेच दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी साल 2010 में प्रतिवादी के हक में फैसला सुनाया था.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि साल 1947-48 से प्रतिवादी का कब्जा था. ये भी सच है कि प्रतिवादी संपत्ति की खरीद को लेकर मालिक के तौर पर कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सके, लेकिन इसका वक्फ बोर्ड को कोई फायदा नहीं होगा. कोर्ट ने कहा था कि बोर्ड को कब्जा चाहिए तो अपना मामला स्वयं स्थापित करना होगा और दस्तावेज पेश करने होंगे.