शहरी जीवन कैसे बन रहा है दिल के लिए खतरा? बढ़ रहे अर्बन हार्ट सिंड्रोम के मामले

by Carbonmedia
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शहर की चकाचौंध भरी जिंदगी में सुविधा, अवसर और तेज रफ्तार जिंदगी तो है, लेकिन इसके साथ-साथ एक अनदेखा खतरा भी छुपा है जो धीरे-धीरे दिल को कमजोर करता जा रहा है. इस खतरनाक ट्रेंड को एक्सपर्ट्स अर्बन हार्ट सिंड्रोम कर रहे हैं जो कि आज के समय में महानगरों में रहने वाले युवाओं के दिल पर सीधा वार कर रहा है.
जब लाइफस्टाइल बन जाए खतरा
सप्ताह के 5 दिन लगातार काम का दबाव, नींद की कमी, जंक फूड, स्क्रीन टाइम और वीकेंड पर बेवजह का आराम यह पैटर्न अब सिर्फ थकान नहीं लाता बल्कि दिल की बीमारियों की नींव भी बना रहा है. कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार शहरों में रहने वाले 30 और 40 की उम्र के लोगों में भी अब दिल की बीमारियों की शुरुआत की लक्षण दिख रहे हैं वह भी बिना किसी स्पष्ट संकेत के.
अर्बन हार्ट सिंड्रोम क्या है
अर्बन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसा शब्द है जो आज के शहरी रहन-सहन से जुड़ी समस्याओं को समेटता है. लगातार तनाव, खराब नींद, घंटों बैठकर काम करना, मिलावटी खान पान, प्रदूषण और कैफीन जैसी चीजों का ज्यादा सेवन इन सभी कारकों के कारण दिल पर दबाव बढ़ता है. और धीरे-धीरे हार्ट फंक्शन में गड़बड़ी शुरू हो जाती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार यह स्थिति शुरू में किसी बीमारी की तरह महसूस नहीं होती लेकिन धीरे-धीरे यह हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की गति में समानता और अन्य गंभीर समस्याओं में बदल सकती है.
चुपचाप असर करता है यह सिंड्रोम
अर्बन हार्ट सिंड्रोम की सबसे खतरनाक बात यह है कि इसके लक्षण बहुत हल्के और आम होते हैं. जिन्हें लोग मामूली थकान या तनाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. लगातार थकावट, ठीक से नींद न आना हल्का सा चलने में सांस फूलना, दिल की धड़कनों का तेज होना या सीने में हल्का दर्द यह सभी इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. वहीं अगर इन्हें समय रहते नहीं पहचान गया तो यह दिल की गंभीर बीमारियों में बदल सकते हैं. इसलिए नियमित हेल्थ चेकअप से इन संकेत को वक्त रहते पकड़ कर बड़ी मुसीबत से बचा जा सकता है.
महिलाएं ज्यादा खतरे में क्यों है
शहरी महिलाओं के लिए खतरा और भी गंभीर माना जा रहा है. यह वजह यह है कि वह अक्सर दिल की बीमारियों के पारंपरिक लक्षण नहीं दिखाती. छाती में दर्द की जगह उन्हें थकान, अपच, पीठ या जबड़े में दर्द या फिर सांस फूलने जैसा लक्षण होते हैं जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है. साथ ही घर और काम दोनों की जिम्मेदारियां के साथ हार्मोनल बदलाव उनकी स्थिति को और जटिल बना देते हैं. ऐसे में समय पर जांच और जागरूकता ही सुरक्षा की पहली शर्त है.
क्यों बढ़ रहा है यह खतरा
आज की शहरी पीढ़ी देर रात तक जागना, स्क्रीन टाइम पर लगातार समय बिताना और दिन भर बैठे रहकर काम करना जैसे व्यवहारों को की आदी हो चुकी है. इसमें कैफीन और एनर्जी ड्रिंक का ज्यादा सेवन भी शामिल है. यह सभी आदतें शरीर के नेचुरल रूटीन यानी सर्कैडियन रिदम को बिगाड़ती है.
वहीं जब आप रात भर जागते हैं बहुत ज्यादा कैफीन लेते हैं और शरीर को ठीक से आराम नहीं देते तो यह सीधे तौर पर दिल की धड़कन को प्रभावित करता है. लंबे समय तक ऐसा चलने पर हार्ट रेट में बदलाव, ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी और हार्ट अटैक जैसी गंभीर खतरे पैदा हो सकती है.
हार्ट सिंड्रोम से कैसे बचें
इस सिंड्रोम से बचने के लिए जीवन शैली में छोटा लेकिन सरदार बदलाव जरूरी है. इस सिंड्रोम से बचने के लिए आप हर दिन कम से कम 30 मिनट फिजिकल एक्टिविटी जैसे तेज चलना या योग कर सकते हैं. इसके अलावा आपको नियमित 7 से 8 घंटे की नींद रोजाना लेनी चाहिए. वहीं प्रोसेस्ड फूड नमक और कैफीन की मात्रा में कमी करनी चाहिए. इसके अलावा दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए. इस सिंड्रोम से बचने के लिए आपको तनाव घटाने के लिए मेडिटेशन या माइंडफूलनेस जैसे उपाय अपनाना चाहिए और सबसे जरूरी अगर परिवार में दिल की बीमारी पहले से किसी को है तो आप भी इसकी जांच करानी चाहिए.ये भी पढ़ें- दिनभर सोशल मीडिया पर रहते हैं एक्टिव तो जल्दी हो जाएंगे गंजे, डराने वाला सच आ गया सामने
 

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