शारदा यूनिवर्सिटी आत्महत्या केस: आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी पुलिस की नजरें

by Carbonmedia
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ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में बीडीएस की छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले में विश्वविद्यालय की आंतरिक जांच समिति ने जांच को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है.
गुरुवार को समिति के सदस्यों ने लुक्सर जेल में बंद निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महिंदर सिंह चौहान और सहायक प्रोफेसर डॉ. शैरी वशिष्ठ से मुलाकात कर उनके बयान दर्ज किए. संभावना जताई जा रही है कि शुक्रवार शाम तक समिति अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप देगी.
पुलिस को है रिपोर्ट का इंतजारपुलिस विभाग अब इस जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है, क्योंकि इसके आधार पर मामले में अन्य आरोपी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. बता दें कि छात्रा ज्योति शर्मा, जो कि गुरुग्राम निवासी थी, ने 18 जुलाई को छात्रावास के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. छात्रा द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में सहायक और एसोसिएट प्रोफेसर पर मानसिक उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया गया है.
छात्रा के पिता ने दर्ज कराई एफआईआरज्योति के पिता रमेश जांगड़ा द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में डेंटल साइंस विभाग के डीन प्रो. (डॉ.) एम. सिद्धार्थ, विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष चौधरी, प्रो. डॉ. अनुराग, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महिंदर सिंह चौहान, सहायक प्रो. डॉ. सुरभि, और डॉ. शैरी वशिष्ठ पर प्रताड़ना के आरोप लगाए गए हैं. पुलिस ने इस मामले में महिंदर सिंह चौहान और शैरी वशिष्ठ को पहले ही गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी आरोपित शिक्षकों को निलंबित कर दिया है और परिजनों की मांग पर आंतरिक जांच समिति का गठन किया गया था. समिति को पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से जांच में देरी हुई. शनिवार को परिजनों के विरोध प्रदर्शन के चलते जांच शुरू नहीं हो सकी. 
छुट्टी की वजह से नहीं हो पाई जांचरविवार को विश्वविद्यालय बंद रहा और 23 जुलाई को श्रावण शिवरात्रि की छुट्टी होने के कारण जांच कार्य नहीं हो सका. ऐसे में समिति को केवल सोमवार, मंगलवार और गुरुवार को ही जांच के लिए पर्याप्त समय मिल पाया.
अब सभी की नजरें आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो छात्रा की आत्महत्या में शामिल जिम्मेदारों की भूमिका को स्पष्ट कर सकती है. यदि रिपोर्ट में अन्य शिक्षकों की संलिप्तता सामने आती है, तो जल्द ही नई गिरफ्तारियां और कार्रवाई हो सकती हैं. परिजन और छात्र संगठन इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में किसी भी छात्र को ऐसी त्रासदी से न गुजरना पड़े.

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