शाहजहांपुर धर्मांतरण फंडिंग केस, तमिलनाडु के संदिग्ध फंडिंग नेटवर्क की जांच शुरू

by Carbonmedia
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शाहजहांपुर में धर्मांतरण के आरोपों से जुड़े मामलों की जांच लगातार तेज हो रही है. पुलिस ने तमिलनाडु स्थित एक संगठन ‘जीसस रेडीमेड’ द्वारा भेजे गए 4.6 करोड़ रुपये के संदिग्ध फंडिंग नेटवर्क की जांच शुरू कर दी है. इस मामले में चार संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें एक तमिलनाडु निवासी पद्मनाभन भी शामिल है, जिसके बैंक खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर होने की पुष्टि हुई है.
पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि यह फंडिंग धार्मिक रूपांतरण गतिविधियों के लिए की जा रही थी. संगठन का बैंक खाता वर्ष 2017 में खोला गया था, जिसमें प्रारंभिक लेनदेन 4.6 करोड़ रुपये का रहा. पुलिस अब इस खाते के माध्यम से हुए सभी वित्तीय लेन-देन और उनके उद्देश्यों की गहन जांच कर रही है.
अब तक 10 आरोपियो को किया जा चुका है अरेस्ट
पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने आगे बताया कि, धनराशि के विदेशी स्रोत से आने का संदेह है, जिसकी जांच के लिए साइबर सेल समेत कई टीमें गठित की गई हैं. अन्य जनपदों में भी इसी नेटवर्क से जुड़े स्थानों पर जांच चल रही है. अब तक जिले के रामचंद्र मिशन, सिधौली, निगोही और खुटार थानों में पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. 
बताया गया कि रविवार को खुटार थाना क्षेत्र के कुंबी गांव में एक प्रार्थना सभा के दौरान हरीशचंद्र और उनके बेटे शैलेश को हिरासत में लिया गया. वहीं, निगोही क्षेत्र के चैना रुरिया गांव में हेमराज और ओमपाल को भी कथित रूपांतरण गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पकड़ा गया है.
साजिश का जल्द होगा खुलासा
एसपी राजेश द्विवेदी ने कहा, “अब तक मिले वित्तीय साक्ष्य एक संगठित और गंभीर षड्यंत्र की ओर संकेत करते हैं. पुलिस की टीमें समर्पण भाव से काम कर रही हैं और जल्द ही पूरी साजिश का खुलासा किया जाएगा.”

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