शिबू सोरेन को याद कर भावुक हुए इरफान अंसारी, ‘दिशोम गुरु’ को भारत रत्न देने की रखी मांग

by Carbonmedia
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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का सोमवार (4 अगस्त) को निधन हो गया. आज (मंगलवार, 5 अगस्त) को उनका अंतिम संस्कार है. इस बीच हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री कांग्रेस नेता इरफान सोलंकी ने शिबू सोरेन के लिए बड़ी मांग रख दी है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि शिबू सोरेन को भारत रत्न मिले. 
झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, खाद्य आपूर्ति एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा, “झारखंड की आत्मा को सम्मान मिलना चाहिए, इसलिए केंद्र सरकार से अपील है कि गुरुजी को भारत रत्न मिले.”
‘मेरे घर का खाना पसंद करते थे शिबू सोरेन’शिबू सोरेन के साथ बिताये पल याद कर इरफान अंसारी भावुक हो गए. उन्होंने एक वाकया सुनाते हुए कहा कि शिबू सोरेन को इरफान अंसारी की मां के हाथ की रोटियां पसंद थीं. वे हमेशा कहते थे कि घर से खाना लाया करो. उनके साथ व्यक्तिगत संबंध थे. शिबू सोरेन के निधन ने उन्हें तोड़ दिया है. 

गुरुजी को मिले भारत रत्न — डॉ. इरफान अंसारी की केंद्र सरकार से भावुक अपील”*”झारखंड की आत्मा को मिले सम्मान, गुरुजी को मिले भारत रत्न: मंत्री इरफान अंसारी”*झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, खाद्य आपूर्ति एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने आज एक महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए… pic.twitter.com/VLq8yU1PIN
— Dr. Irfan Ansari (@IrfanAnsariMLA) August 5, 2025

‘जल-जंगल जमीन शिबू सोरेन के लिए रो रहे’इरफान अंसारी ने कहा कि आज जल-जंगल और जमीन सब शिबू सोरेन के लिए रो रहे हैं. उन्होंने यह लड़ाई खुद लड़ी थी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “आपको यकीन नहीं होगा, तमाम आदिवासी, मूलवासी, दलित और अल्पसंख्यक शिबू सोरेन को मसीहा मानते थे.”
‘आदिवासी समाज के मसीहा थे शिबू सोरेन’इतना ही नहीं, डॉ. अंसारी ने कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक आंदोलनकारी, एक जननायक और करोड़ों आदिवासियों के अधिकारों की आवाज रहे हैं. उनका जीवन जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को समर्पित रहा है. उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित कर उनके हक और हुकूक की रक्षा की और झारखंड के गठन में निर्णायक भूमिका निभाई.
इरफान अंसारी ने कहा कि शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के स्तंभ थे. उन्होंने वर्षों तक संघर्ष कर झारखंड की मांग को देशव्यापी मुद्दा बनाया और अलग राज्य की नींव रखी. उन्होंने संसाधनों पर आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और जल-जंगल-जमीन की रक्षा को अपना जीवन मिशन बनाया.

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