शिमला-कांगड़ा रोड पर भारी भूस्खलन:सड़क पूरी तरह बंद, दूध-गैस की सप्लाई ठप; स्थानीय लोग खुद कर रहे मलबा साफ

by Carbonmedia
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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मंगलवार तड़के से जारी भूस्खलन ने जनजीवन को पूरी तरह से थाम दिया है। धर्मशाला-शिमला हाईवे और कांगड़ा-रानीताल मार्ग पर हुए भारी भूस्खलन ने क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बुरी तरह प्रभावित किया है। पहाड़ी दरकने से सड़कें पूरी तरह अवरुद्ध हो गई हैं, जिससे कांगड़ा से पालमपुर, रानीताल और ज्वाली की ओर जाने वाला यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। धर्मशाला-मैक्लोडगंज मार्ग पहले से ही भूस्खलन की मार झेल रहा था। इस पर कांगड़ा-रानीताल रोड के बंद होने से पूरा क्षेत्र चारों तरफ से कट गया है। दोनों तरफ सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं। वैकल्पिक मार्गों पर भी जाम की स्थिति बन गई है, जिससे लोगों का बाहर निकलना लगभग असंभव हो गया है। रानीताल मार्ग पर लगभग 100 मीटर क्षेत्र में मलबा और चट्टानें बिखरी पड़ी हैं, जिससे वाहन एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। आवश्यक सेवाओं पर पड़ा प्रभाव भूस्खलन से प्रभावित मार्गों पर फंसे वाहनों में दूध, समाचार पत्र और गैस की सप्लाई करने वाले वाहन भी शामिल हैं। इससे आवश्यक सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। सुबह की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों को बुनियादी आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रशासनिक की उदासीनता और जनता का आक्रोश लोक निर्माण विभाग के किसी भी अधिकारी के मौके पर न पहुंचने से नाराज स्थानीय लोग खुद ही फावड़े लेकर मलबा हटाने में जुटे हैं। जिला प्रशासन, एनएचएआई या पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई स्पष्ट सूचना या मदद अब तक नहीं पहुंची है। दो मुख्य मार्गों के बंद होने के बावजूद आपदा प्रबंधन टीम की अनुपस्थिति ने लोगों में रोष पैदा कर दिया है। मौसम को लेकर चेतावनी मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। प्रशासनिक लापरवाही के कारण लोगों की जान जोखिम में पड़ती दिख रही है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल राहत कार्यों की आवश्यकता है। वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था, फंसे हुए यात्रियों की सहायता और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। प्रशासन से स्पष्ट कार्य योजना और समय-सीमा की जानकारी की मांग की जा रही है।

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