शिमला के बिशप कॉटन बोर्डिंग स्कूल से 3 बच्चे लापता, मॉल रोड घूमने निकले थे मासूम

by Carbonmedia
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के एशिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूलों में शुमार बिशप कॉटन स्कूल के तीन छात्र रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए हैं. स्कूल से शनिवार को तीन छात्रों के लापता होने की खबर ने हड़कंप मचा दिया है. छठी कक्षा में पढ़ने वाले ये बच्चे आउटिंग के लिए माल रोड गए थे, लेकिन बाकी बच्चों के साथ वापस नहीं लौटे.
लापता हुए छात्रों में से एक करनाल, दूसरा मोहाली और तीसरा कुल्लू का रहने वाला है. लापता तीनों छात्र 11 साल के हैं और छठी कक्षा में पढ़ते हैं. तीनों लापता बच्चों के नाम अंगद, हितेंद्र और विदांश हैं. इनमें एक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, दूसरा पंजाब के मोहाली और तीसरा हरियाणा के करनाल का निवासी है. शनिवार को वीकेंड के अवसर पर कुछ छात्र स्कूल से बाहर घूमने गए थे.
धारा 137बी BNS के तहत अज्ञात लोगों के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज
दोपहर करीब 12 बजकर 9 मिनट पर ये तीनों छात्र स्कूल से आउट-पास लेकर निकले थे, लेकिन शाम 5 बजे तक लौटने की समय सीमा के बावजूद हॉस्टल वापस नहीं लौटे. स्कूल प्रशासन को जब उनकी गैरमौजूदगी का पता चला, तो तुरंत न्यू शिमला पुलिस को सूचना दी गई.
शिकायत के आधार पर थाना न्यू शिमला में धारा 137बी BNS के तहत अज्ञात लोगों के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस जांच में सामने आया कि तीनों छात्रों को बाद में शहर के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर माल रोड पर देखा गया था. इसके बाद से उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है.
CCTV फुटेज और शहर के प्रवेश व निकास मार्गों पर निगरानी तेज
शिमला पुलिस ने आसपास के क्षेत्रों, CCTV फुटेज और शहर के प्रवेश व निकास मार्गों पर निगरानी तेज कर दी है. साथ ही, बच्चों के संभावित ठिकानों की तलाश के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से भी संपर्क किया गया है. उधर, तीनों छात्रों के परिजन बेहद चिंतित हैं और जल्द से जल्द सुरक्षित वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
बच्चों के अचानक गायब होने से कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. पुलिस का मानना है कि हो सकता है बच्चे रास्ता भटक गए हों या फिर बिना बताए कहीं चले गए हों. हालांकि, बच्चों के अपहरण की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता.
भारत के अलावा विदेशों से भी बच्चे पढ़ने आते हैं
यह बोर्डिंग स्कूल देश के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक है, जहां भारत के अलावा विदेशों से भी बच्चे पढ़ने आते हैं. यह स्कूल 1859 में स्थापित हुआ था और देश-विदेश के कई नामी उद्योगपतियों व प्रतिष्ठित परिवारों के बच्चे यहां पढ़ चुके हैं. वर्तमान में भी यहां ज्यादातर छात्र बाहरी राज्यों से पढ़ने आते हैं. इतने बड़े स्कूल से छात्रों का इस तरह से लापता हो जाना कई सवाल खड़े कर रहा है.

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