आवारा कुत्तों को लेकर देशभर में चर्चा के बीच शिमला नगर निगम (एसएमसी) ने बड़ा फैसला लिया है. नगर निगम की ओर से स्ट्रे डॉग्स के व्यवहार पर नजर रखने के लिए उन्हें जीपीएस-सक्षम कॉलर और क्यूआर कोड से लैस करके एक व्यापक अभियान शुरू किया गया है. रेबीज की रोकथाम के अलावा आवारा कुत्तों के लिए टीकाकरण और नसबंदी अभियान भी शुरू किया गया है.
सड़कों पर आवारा कुत्तों के आतंक से अक्सर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुत्तों का आतंक इंसानी जिंदगी पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में टीकाकरण और नसबंदी अभियान से इंसान और स्ट्रे डॉग्स के बीच संघर्ष कुछ कम होगा. शिमला के विधायक हरीश जनारथा ने कहा, ”शिमला शहर में स्ट्रे डॉग्स बहुत हो चुके हैं और कुत्तों के काटने के कई मामले सामने आ रहे हैं, इसलिए एंटी रेबीज इंजेक्शन और नसबंदी अभियान चलाए जा रहे हैं.”
#WATCH | Shimla, HP | Shimla MLA Harish Janartha says, “…We first began with anti-rabies injections for both male and female dogs, and then sterilisation. In Shimla’s 34 wards, there are currently 4,000–4,500 stray dogs. This campaign started on August 15 and will run till… https://t.co/59gUP7oNa6 pic.twitter.com/2raCuHCyiw
— ANI (@ANI) August 23, 2025
शिमला के 34 वार्डों में 4000-4500 आवारा कुत्ते
शिमला के विधायक हरीश जनारथा ने आगे कहा, ”हमने सबसे पहले नर और मादा कुत्तों को एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगाए और फिर उनकी नसबंदी करवाई. शिमला के 34 वार्डों में, वर्तमान में 4,000-4,500 आवारा कुत्ते हैं. यह अभियान 15 अगस्त से शुरू हुआ और 29 अगस्त तक चलेगा. इस मुहिम में महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, गोवा और हिमाचल के रामपुर और शिमला जैसे देश भर से लोग जुड़े हैं.”
GPS से आक्रामक कुत्तों की पहचान में मदद मिलेगी
विधायक ने कहा, ”मैं नगर आयुक्त और उनकी टीम को इसे हकीकत में बदलने के लिए मुबारकबाद देता हूं. ये अभियान प्रैक्टिकल तरीके से शिमला में स्टार्ट हो चुका है. अभी तक, 2,011 कुत्तों का टीकाकरण किया जा चुका है और उन्हें GPS से जुड़े क्यूआर कोड कॉलर लगाए जा चुके हैं. इससे सटीक रिकॉर्ड रखने और आक्रामक कुत्तों की पहचान करने में मदद मिलेगी. इसके बाद नसबंदी की जाएगी.”
हिमाचल में शिमला से ही अभियान क्यों हुआ शुरू?
उन्होंने आगे कहा, ”हिमाचल में शिमला शहर पहला है जहां ये अभियान शुरू किया गया है. मुंबई, दिल्ली, गोवा में भी ये प्रयास शुरू किया गया है. शिमला में हमने इसे स्टार्ट इसलिए किया है क्योंकि यहां पर वॉकिंग टूरिस्ट है, पब्लिक है. राज्य की राजधानी होने के नाते यहां से हमने इस अभियान की शुरूआत की है, बाकी दूसरे शहरों में अभी इतना कंसंट्रेशन नहीं है, लेकिन हमारा प्रयास ये रहेगा कि अगर शिमला शहर में अभियान सफल होता है तो इसे दूसरे छोटे-छोटे शहरों में भी लागू करेंगे.
शिमला में स्ट्रे डॉग्स के लिए फीडिंग जोन मार्क
शिमला के विधायक ने ये भी बताया, ”शिमला नगर निगम ने एक कदम और उठाया है, जो स्ट्रे डॉग्स के लिए फीडिंग जोन हैं, उन्होंने उसे मार्क कर लिया है. ये बहुत ही अच्छी बात है. इतने एनजीओ और डॉग्स लवर हैं वो अपनी मर्जी से फीडिंग कराते हैं. ऐसे में वहां पर कुत्तों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे उस रास्ते से बुजुर्गों, बच्चों और माताओं-बहनों का आना जाना मुश्किल हो जाता है.