शुभमन गिल भारत की सफल कप्तानी कर पाएंगे या नहीं? इस शख्स का बयान वायरल

by Carbonmedia
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Ind Vs Eng Second Test Match: भारत और इंग्लैंड के बीच 2 जुलाई से दूसरा टेस्ट बर्मिंघम में शुरू हो रहा है. मैच से पहले अनुभवी खेल लेखक विजयन बाला ने भारतीय टीम के कप्तान शुभमन गिल का समर्थन किया और कहा कि अगर उन्हें समर्थन मिला तो वह देश के लिए सफल कप्तानी करेंगे.
बतौर कप्तान शुभमन गिल के करियर की शुरुआत अच्छी नहीं रही. इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 147 रन बनाए, 4 और भी शतक इस मैच में लगे लेकिन भारत को 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में सवाल उठ रहा हैं कि क्या शुभमन गिल टेस्ट में भारत को सफल नेतृत्व दे पाएंगे.
समाचार एजेंसी आईएएनएस बात करते हुए विजयन बाला ने कहा, “विराट कोहली, रोहित शर्मा और आर अश्विन जैसे खिलाड़ी अब टीम का हिस्सा नहीं हैं. हर खिलाड़ी को एक दिन रिटायर होना है. पहले भी बड़े क्रिकेटर रिटायर हुए हैं लेकिन क्रिकेट खत्म नहीं हुआ. हमें अब नई पीढ़ी को देखना चाहिए. शुभमन गिल एक विश्व स्तरीय बल्लेबाज हैं. वह एक लीडर रहे हैं और अगर उन्हें उचित समर्थन और प्रोत्साहन दिया जाए तो वह भारत का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर सकते हैं.”
बाला ने कहा कि गिल को अपने फैसले लेने की जरूरत है. आने वाले दिनों में ऐसा होता हुआ दिखेगा. भारत में क्रिकेट के किसी भी क्षेत्र में प्रतिभा की कमी नहीं है. इंग्लैंड गई टीम का प्रदर्शन कैसा रहता है, इस आधार पर टीम के भविष्य का आकलन नहीं होना चाहिए. हमें उन्हें समय देना चाहिए. भारतीय क्रिकेट का भविष्य पहले से बेहतर नहीं तो पहले जितना ही अच्छा जरूर होगा.
बाला क्रिकेट और ओलंपिक को लेकर सात पुस्तकें लिख चुके हैं.
ओलंपिक में भारत की पदकों की संख्या कैसे बढ़े, इस पर वरिष्ठ खेल लेखक ने कहा, “ओलंपिक में भारत को जितने पदक मिलने चाहिए, उतने न जीत पाने का मुख्य कारण खेल संस्कृति का अभाव है. जब तक खेल संस्कृति गंभीर तरीके से नहीं आती, तब तक भारत के लिए शीर्ष अग्रणी देशों की तरह पदक जीतना बहुत मुश्किल होगा. हमें जमीनी स्तर पर शुरुआत करनी होगी. सीबीएसई और अन्य बोर्डों को इस बात पर जोर देना चाहिए कि उनके साथ संबद्ध सभी स्कूलों में खेल के मैदान, उचित कोच और प्रतिबद्ध शारीरिक शिक्षा के लिए शिक्षक होने चाहिए. तभी हम बेहतर खिलाड़ी बना पाएंगे.”
उन्होंने कहा कि हमें समर्पित खेल शिक्षकों की आवश्यकता है जो सबसे पहले प्रतिभाओं को पहचानेंगे. विभिन्न खेलों की प्रतिभा और खेल और फिर वे प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करेंगे. प्रशिक्षित होने के बाद खिलाड़ियों को कॉलेज स्तर, विश्वविद्यालय स्तर और फिर राज्य स्तर पर मंच मिलना चाहिए. इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मौका मिलना चाहिए. इस तरह हमारे पास एक उचित खेल संस्कृति होगी और हमारा देश अभी जितना पदक जीत रहा है, उससे कहीं अधिक पदक जीतेगा.
23 साल की उम्र में उन्हें बीसीसीआई ने सांख्यिकी समिति में पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधि चुना. उस समय भारतीय टेस्ट क्रिकेट के आंकड़ों पर कोई उचित पुस्तक नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी पहली किताब ‘इंडियन टेस्ट क्रिकेट – ए स्टैटिस्टिकल डाइजेस्ट 1932-1974’ लिखी.
बाला ने हाल में दो किताबे लिखी हैं जिसमें भारत के ओलंपिक पदक विजेता (पेरिस 1900 – पेरिस 2024) और इतिहास और दुनिया के सबसे महान खेल आयोजन के सितारे: एथेंस 1896 से पेरिस 2024 तक के दिग्गज खिलाड़ियों पर चर्चा की है.

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