श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में हवन व भजन कीर्तन होंगे

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | लुधियाना ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाने वाली शनि जयंती का विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। इस वर्ष यह तिथि 27 मई को पड़ रही है। इस दिन भगवान शनिदेव के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। आमतौर पर शनिवार को उनकी विशेष पूजा की जाती है, लेकिन शनि जयंती पर भक्त विशेष रूप से उनकी कृपा प्राप्त करने और उनके प्रकोप से बचने के लिए पूजा, व्रत और दान करते हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त की बात करें तो 26 मई की दोपहर 12:11 बजे से लेकर 27 मई को सुबह 8:31 तक का समय पूजा-अर्चना के लिए उत्तम रहेगा। इस दिन शहर के शनि मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे और भक्त पीपल के वृक्ष की पूजा करके भगवान से कृपा की कामना करेंगे। सिविल लाइंस स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी शनि जयंती को बड़े हर्षेल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शनिदेव जी का हवन यज्ञ किया जाएगा। इसके बाद भक्तों द्वारा भजन कीर्तन आयोजित होगा। कार्यक्रम के अंत में भक्तों के लिए लंगर वितरित किया जाएगा। शहीद भगत सिंह स्थित श्री शनि मंदिर और नवग्रह मंदिर में शनि जन्मोत्सव पर पंडित इंद्रमणि ने बताया कि शनि देव का 50 लीटर तेल के साथ तेलाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान के विशेष वस्त्रों के साथ सजाया जाएगा जो मंदिर के महिला मंडली ने तैयार की है। शनिगांव में बने शहर के प्राचीन शनि मंदिर में शनिदेव की शनि जयंती का भजन कीर्तन किया जाएगा। भगवान की मूर्ति पर श्रद्धालुओं द्वारा तेलाभिषेक किया जाएगा। रात को शनिदेव भगवान के नाम का करीब 10 किलो का केक भी काटा जाएगा और हवन यज्ञ आयोजित होगा। हैबोवाल कलां के हरगोविंद नगर स्थित शनिदेव मंदिर के पंडित अशोक तिवारी ने बताया कि मंदिर परिसर में शनिदेव के नाम से लंगर लगाया जाएंगे। उन्होंने बताया कि भगवान की पूजा के साथ यदि किसी भूखे को रोटी दीं जाएं तो उससे बड़ा कोई कार्य नहीं है। इस तरह के कार्य से ही भगवान अधिक प्रसन्न होते है। पंडित राम प्रसाद ने बताया कि हिन्दू धर्म में भगवान शनि को न्याय के देवता कहा जाता है। वे सूर्य देव और उनकी छाया पत्नी की संतान हैं। शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या को हुआ था। इन्हें नवग्रहों में एक अत्यंत प्रभावशाली ग्रह माना गया है। ऐसा विश्वास है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उन्हें फल और दंड देते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान शनि की पूजा व्यक्ति के जीवन से दुर्भाग्य, रोग, शत्रु, और ग्रहदोष को दूर करने के लिए की जाती है। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव कई बार जीवन में समस्याएं लेकर आता है। इस समस्या से समाधान के लिए वृद्धजनों और गरीबों की सेवा करें, लोहे की चीज़ों का दान करें, शनिवार को व्रत और उपवास रखें। उन्होंने कहा कि शनिदेव किसी एक राशि को विशेष रूप से नहीं चुनते, बल्कि यह व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है। फिर भी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं, जबकि मकर और कुंभ में वे स्वग्राही रहते हैं। इन राशियों पर शनि का प्रभाव तुलनात्मक रूप से शुभ होता है।

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