भास्कर न्यूज | लुधियाना अमर शहीद बाबा दीप सिंह जी गुरुद्वारा साहिब में हर शनिवार एक विशेष दृश्य देखने को मिलता है, जब गुलक (दानपेटी) की गिनती के दौरान संगत सेवा में जुट जाती है। यह सेवा न केवल आर्थिक पारदर्शिता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि संगत का योगदान किस तरह समाज निर्माण में लग सकता है। गुरुद्वारा कमेटी का यह कदम केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि आत्मिक, बौद्धिक और शारीरिक विकास का भी एक प्रयास है। यह पहल गुरबाणी के उस सिद्धांत को साकार करती है जिसमें नाम जपना, कीरत करना और वंड छकणा ही सच्ची सेवा मानी गई है। अमर शहीद बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा साहिब अब महज एक धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि सिख बच्चों की तकदीर बदलने वाला केंद्र बन रहा है। जहां संगत का दान केवल ईंट-पत्थर में नहीं, बल्कि क़लम, किताब और खेल के मैदानों में लगकर भविष्य गढ़ेगा। गुरुद्वारा साहिब के जनरल सेक्रेटरी सुखविंदर पाल सिंह सरना ने बताया कि पिछले कुछ समय से गुलक से विदेशी करंसी, खासतौर पर कनाडा और अमेरिका के डॉलर, बड़ी मात्रा में निकल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जप तप समागम और अन्य धार्मिक आयोजनों में विदेशों से संगत पहुंचती है, और श्रद्धा से दान करती है। गुरुद्वारा कमेटी ने अब इस धन का सदुपयोग समाज सेवा में करने का संकल्प लिया है। सरना ने कहा हम उन बच्चों को शिक्षा देंगे जो पढ़ना चाहते हैं, और जो खेलों में हुनर रखते हैं, उन्हें खेलों में आगे बढ़ने का पूरा अवसर देंगे।बच्चा चाहे फुटबॉल खेले, बास्केटबॉल, हॉकी, साइक्लिंग या बॉक्सिंग गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य उनकी पूरी कोचिंग, उपकरण और अन्य जरूरतों को पूरा करेगा। बच्चों को तब तक पढ़ाया जाएगा जब तक वो पढ़ना चाहें। नवप्रीत सिंह बिंद्रा और हरप्रीत सिंह राजधानी ने कहा हम चाहते हैं कि हर सिख परिवार का बच्चा आईपीएस, डॉक्टर, जज, या आईएएस अधिकारी बने। ताकि पंजाब के बच्चे विदेशों की जगह यहीं अपने राज्य में ही हुनर दिखाएं और समाज की सेवा करें।
संगत का आशीर्वाद, सेवा का संकल्प… गुरुद्वारा कमेटी सिख बच्चों की जिम्मेदारी उठाएगी
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