संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर हंगामे के आसार, कांग्रेस ने जारी किया व्हिप, सरकार चर्चा को तैयार

by Carbonmedia
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पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के मद्देनजर कांग्रेस ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर सोमवार (28 जुलाई 2025) से तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने को कहा है. सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े दो मुद्दों पर आमने-सामने होने के लिए तैयार हैं.
राजनाथ सिंह, एस जयशंकर चर्चा में भाग लेंगे
बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी दलों की ओर से लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरान अपने शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारने की उम्मीद है. सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर इन मुद्दों पर चर्चा में भाग लेंगे. समझा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवाद के खिलाफ अपनी सरकार के मजबूत रुख से अवगत कराने के लिए चर्चा में हस्तक्षेप कर सकते हैं.
राहुल गांधी, अखिलेश यादव सरकार को घेरेंगे
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और अन्य नेताओं के साथ मिलकर सरकार को घेरेंगे. दोनों पक्षों ने लोकसभा और राज्यसभा में 16 घंटे की बहस पर सहमति व्यक्त की है, जो सामान्यत: तय समय से अधिक होती है.
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और अन्य मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण सत्र का पहला सप्ताह लगभग हंगामे की भेंट चढ़ गया था. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 25 जुलाई को कहा था कि विपक्ष सोमवार को लोकसभा में और मंगलवार को राज्यसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू करने पर सहमत हो गया है.
केंद्र सरकार की ओर से ये नेता ऑपरेशन सिंदूर पर बोलेंगे
केंद्र सरकार की ओर से अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे नेताओं के अलावा उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्य भी संसद में बोल सकते हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए 30 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं. इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जनता दल यूनाइटेड के संजय झा और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के हरीश बालयोगी शामिल हैं.
अब भी बड़ा सवाल है कि क्या शशि थरूर को कांग्रेस की ओर से वक्ता के रूप में चुना जाएगा. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिये अमेरिका सहित अन्य देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. थरूर ने आतंकवादी हमले के बाद सरकार की कार्रवाई का उत्साहपूर्वक समर्थन किया, जिससे उनके अपनी पार्टी से संबंध खराब हो गए हैं.
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