सपनों को सच करने का साइंटिफिक फॉर्मूला, मैनिफेस्टेशन सिर्फ कल्पना नहीं न्यूरोसाइंस है

by Carbonmedia
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मैनिफेस्टेशन का आइडिया सोशल मीडिया पर पिछले कुछ सालों से काफी पॉपुलर हुआ है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक ट्रेंड है या वाकई इसका कोई असर होता है. इस सवाल का जवाब कई एक्सपर्ट्स देते हैं जो मानते हैं कि मैनिफेस्टेशन काम करता है. हालांकि, यह सिर्फ सोचने की बात नहीं बल्कि हमारे ब्रेन को दोबारा ट्रेन करने की साइंटिफिक प्रक्रिया भी है.
मैनिफेस्टेशन सिर्फ कल्पना नहीं एक मेंटल प्रैक्टिस भी
कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार, मैनिफेस्टेशन का मतलब यह मान लेना नहीं कि अगर हम कुछ सोचेंगे तो वह अपने आप सच हो जाएगा. इसके पीछे एक साइंटिफिक तर्क यह है कि जब हम किसी लक्ष्य को पाने की इच्छा बार-बार करते हैं तो वह अपने आप सच हो जाएगा और उस पर केंद्रित रहते हैं तो हमारा दिमाग खुद को उसी दिशा में ढालने लगता है. इसके अलावा कुछ एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि जब हम किसी चीज को पाने की सोचते हैं तो हमारा सोचने का तरीका और हमारी भाषा उसी दिशा में बदलने लगती है. इससे न केवल हमारी मेंटल कंडीशन बदलती है बल्कि हम अपने आसपास की चीजों में ऐसे संकेत भी देखने लगते हैं जो हमारे लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करते हैं.
सफलता के लिए सिर्फ सोच नहीं एक्शन लेना भी जरूरी
कुछ लोग इस धारणा को बिल्कुल नकारते हैं कि मैनिफेस्टेशन का मतलब है कि आप बस बैठकर सोचते हैं और सब कुछ अपने आप हो जाएगा. कई लोग ऐसे बैठकर सोचते हैं कि उनका बिजनेस सफल हो जाएगा या उन्हें अच्छी नौकरी मिल जाएगी तो ऐसा नहीं होता. इसके लिए आपको रोज कुछ न कुछ करना होगा. इसीलिए एक्सपर्ट विजन बोर्ड के बजाय एक्शन बोर्ड बनाने की सलाह भी देते हैं. जहां आप सिर्फ सपनों की तस्वीर न लगाए बल्कि उस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए छोटे-छोटे ठोस कदम भी तय करें.
माइंडसेट शिफ्ट करें डर से बाहर निकलेंं
हमारा दिमाग हमें जोखिमों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन अगर हम हमेशा डर के माहौल में सोचेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे. इसलिए सफलता के लिए जरूरी है कि हम अपने सोचने के तरीके को स्केर्सिटी से अबंडेंस की ओर शिफ्ट करें. वहीं खुद पर भरोसा करना और यह मानना की अवसरों की कोई कमी नहीं है हमारे दिमाग को नए रास्ते देखने और अपनाने में मदद करता है.
दिमाग को मौके पहचानने के लिए ट्रेन करें
हमारा ब्रेन रेटिक्यूलर एक्टीवेटिंग सिस्टम के जरिए चीजों को फिल्टर करता है. इसका मतलब है कि जो चीज हमारे लिए जरूरी होती है वहीं हम देख पाते हैं. जब हम बार-बार अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो दिमाग उन संकेतों को भी पकड़ने लगता है जिन्हें पहले हम नजरअंदाज करते थे.
दिन की शुरुआत ग्रेटीट्यूड से करें
सुबह-सुबह जब आप नींद से जागते हैं उस वक्त की गई पॉजिटिव सोच पूरे दिन की दिशा तय करती है. ग्रेटीट्यूड की भावना हमें डर और तनाव से निकाल कर एक भरोसे और प्यार की स्थिति में लाती है. जिससे हम ज्यादा खुले और रचनात्मक बनते हैं. ऐसे में सुबह उठते ही तीन चीजों के बारे में आपको सोचना चाहिए जैसे जिनके लिए आप आभारी हैं यह आदतें आपके सोचने के तरीके में बड़ा बदलाव ला सकती है.
पॉजिटिव अफर्मेशन्स से खुद को दोबारा प्रोग्राम करें
हम अक्सर अनजाने में खुद के बारे में नेगेटिव बातें सोचते हैं. इसी आदत को बदलने के लिए आप अपने घर में जगह-जगह पर पॉजिटिव कोट्स लगाकर रख सकते हैं. इन कोट्स को रोज खुद से कहना और उन्हें अपने मन में दोहराना आपके दिमाग को एक नई दिशा दे सकता है.
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