ऑपरेशन सिंदूर में दुनियाभर ने मेक इन इंडिया यानी भारतीय निर्मित हथियारों का दमखम देखा. ऐसे ही देश की शान बढ़ाने के लिए एक और युद्धपोत INS महेंद्रगिरी लगभग तैयार है. महेंद्रगिरी की ताकत इतनी जबरदस्त है कि दुश्मन को इसके सामने खड़े होने का भी मौका नहीं मिलेगा.
भारतीय नौसेना देश के करीब 11 हजार किलोमीटर के कोस्टल लाइन की सुरक्षा करती है, जिसमें 320 किलोमीटर का स्पेशल इकनॉमिक जोन है. इतने बड़े क्षेत्रफल की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना पहले से ही तत्पर है और अब नया युद्धपोत इसमें शामिल होने जा रहा है. इसकी लंबाई 149 मीटर, चौड़ाई 17.8 मीटर और इसकी टॉप स्पीड 28 नॉट्स होगी. महेंद्रगिरी प्रोजेक्ट 17A का अंतिम युद्धपोत है. परियोजना के तहत चार युद्धपोत मझगांव डॉक पर बनाए जा रहे हैं.
चीन और पाकिस्तान की उड़ेगी नींद
एमडीएल की ओर से बनाए जा रहे नीलगिरी श्रेणी के चौथे और अंतिम जहाज, ‘महेंद्रगिरी’ को भारतीय नौसेना के ब्यूरो ऑफ नेवल डिजाइन की तरफ से डिजाइन किया गया है. यह उन्नत अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, संचार सुविधाओं और अन्य प्रणालियों से लैस है. भारतीय सुरक्षा बेड़े में इसके शामिल होने से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गई है.
क्या है महेंद्रगिरी की खासियत?
गोलीबारी में सहायता, दो 30 मिमी रैपिड फायर बंदूकें जहाज को नजदीक से रक्षा क्षमता मुहैया कराएगी, जबकि एक एसआरजीएम गन प्रभावी नौसैनिक को गोलीबारी में सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाएगी. स्वदेशी रूप से विकसित ट्रिपल ट्यूब लाइट वेट टारपीडो लॉन्चर और रॉकेट लॉन्चर जहाज की पनडुब्बी रोधी क्षमता में इजाफा करेंगे. ‘महेंद्रगिरी’ लगभग 149 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा होगा. इसका विस्थापन लगभग 6,600 टन का और अधिकतम गति 30 समुद्री मील प्रति घंटे की होगी.
खतरे का मुकाबला करने में तत्पर
इस प्रोजेक्ट के जहाज को दुश्मन के विमानों और एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों के खतरे का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस तरह के उन्नत जहाजों में लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली भी लैस की गई है. ये सुविधाएं फ्रिगेट्स को रडार औरक अन्य सेंसरों से छिपाने में मदद करती हैं. इससे फ्रिगेट्स को दुश्मन से हमलों से बचने में मदद मिलती है.
इनमें हवा से हवा में मिसाइल, एंटी शिप मिसाइल, एंटी सबमरीन मिसाइल और एक स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणाली शामिल है. ये हथियार और सेंसर फ्रिगेट्स को विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों को मारने में सक्षम बनाते हैं. यह सिस्टम फ्रिगेट्स के विभिन्न उपकरणों और प्रणालियों को नियंत्रित और समन्वयित करता है. यह फ्रिगेट्स को अधिक कुशलता से संचालित करने में मदद करता है.
हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ाएगा भारत की ताकत
इन उन्नत सुविधाओं के साथ INS महेंद्रगिरी भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने और चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी. पिछले वर्जन की तरह महेंद्रगिरी को एकीकृत निर्माण पद्धति के साथ बनाया गया है. पी-17ए सीरीज की कुल लागत 27,500 करोड़ रुपये है और एमडीएल मुंबई इस श्रेणी के सात जहाजों में से चार का निर्माण कर रहा है.
जहाज का हल बनाने में उपयोग किया जाने वाला स्टील स्वदेशी रूप से विकसित डीएमआर 249A है, जो सेल की तरफ स निर्मित एक निम्न-कार्बन माइक्रो-मिश्र धातु ग्रेड स्टील है. पी-17अल्फा जहाज भारतीय नौसेना की ओर से संचालित किसी भी अन्य युद्धपोत की तुलना में कहीं अधिक उन्नत है और शक्तिशाली हथियारों और सेंसर पैकेजों से लैस है, जो तीन मार्गों हवा में, समुद्र की सतह पर और समुद्र में पानी के भीतर खतरों को बेअसर करने में सक्षम हैं.
सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल
देश में डिजाइन किए गए ‘महेंद्रगिरी’ में अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, उन्नत कार्रवाई सूचना प्रणाली, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली, विश्व स्तरीय मॉड्यूलर रहने की जगह, परिष्कृत बिजली वितरण प्रणाली और अन्य आधुनिक विशेषताएं हैं.
यह एक सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली से लैस है और इसकी वायु रक्षा क्षमता दुश्मन के विमान खतरों और एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए डिजाइन की गई है, जो ऊपर की ओर प्रक्षेपण और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के चारों ओर घूमेगी.
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