साधक को अपने आसन, श्वास और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए : वंशी वदन महाराज

by Carbonmedia
()

भास्कर न्यूज | जालंधर अन्नपूर्णा मंदिर कोट किशन चंद में जारी श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन मंगलवार को पूज्य वंशी वदन महाराज ने कहा कि परीक्षित जी ने श्राप मिलने के बाद जब शुकदेव जी से प्रश्न किया कि मरणासन्न व्यक्ति को क्या करना चाहिए, तब श्री शुकदेव जी उन्हें भागवत की कथा सुनाई। इसमें वे साधक के लक्षण बताते हुए कहते हैं कि साधक को अपने आसन, श्वास और इंद्रियों पर नियंत्रण और सत्संगति करनी चाहिए। यह भागवत सबसे पहले ब्रह्मा जी ने नारद जी को मात्र चार श्लोकों में बताई थी। महाराज जी ने उस चतुःश्लोकी भागवत का अर्थ समझाया। फिर विदुर जी का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने पांडवों को लाक्षागृह की आग से बचाया। उन्होंने कहा कि जब कृष्ण जी शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आए, तो दुर्योधन ने उनके कहे अनुसार पांच गांव देने से भी इंकार कर दिया। वहीं पूज्य वंशी वदन महाराज जी ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग बहुत ही भावपूर्ण ढंग से सुनाया। इस मौके पर अंजू ज्योति, केतन ज्योति, राजू ज्योति, मंजू ज्योति, डॉ. अनिल ज्योति, भारत भूषण ज्योति, डॉ. राजेश ज्योति, राजेश शर्मा, राकेश बाहरी, मनु शर्मा समेत अन्य मौजूद रहे। अन्नपूर्णा मंदिर कोट किशन चंद में जारी श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का रसपान करते श्रद्धालु।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment