पीने के साफ पानी के मकसद से लगभग हर घर में आरओ वॉटर प्यूरीफायर लग चुके हैं. दावा किया जाता है कि ये प्यूरीफायर पानी से बैक्टीरिया, वायरस, भारी धातुओं और अन्य गंदगियों को दूर कर देते हैं, जिससे पानी पीने के लिए सेफ हो जाता है. हालांकि, कई रिसर्च में RO का पानी ज्यादा इस्तेमाल करने पर होने वाले खतरों का जिक्र किया गया है. आइए जानते हैं कि आरओ का पानी ज्यादा पीने से किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है?
RO से कैसे साफ होता है पानी?
आरओ यानी रिवर्स ऑस्मोसिस एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पानी को एक अर्ध-पारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) के माध्यम से प्रेशर डालकर गुजारा जाता है. यह झिल्ली पानी से बैक्टीरिया, वायरस, भारी धातुएं जैसे आर्सेनिक, लेड और अन्य गंदगियों को हटा देती है. हालांकि, यह प्रोसेस में पानी से 92-99% जरूरी मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और सोडियम भी हट जाते हैं. यही वजह है कि आरओ से मिले पानी में टीडीएस का लेवल काफी कम हो जाता है, जो कई बार 50 mg/L से भी नीचे चला जाता है. WHO के अनुसार, पीने के पानी में TDS का न्यूनतम स्तर 100 mg/L होना चाहिए, जिससे जरूरी मिनरल्स मिल सकें.
RO के पानी से फायदा
RO से मिलने वाले साफ पानी के पक्ष में कई तर्क हैं. दिल्ली के जनरल फिजिशियन डॉ. रमेश शर्मा कहते हैं कि RO तकनीक पानी से हानिकारक प्रदूषक जैसे लेड, आर्सेनिक और क्लोरीन को हटाने में कारगर है. भारत जैसे देश में भूजल में भारी धातुएं और माइक्रोबियल प्रदूषण कॉमन है. ऐसे में आरओ का पानी जल से होने वाली कई बीमारियों जैसे डायरिया, हैजा और टाइफाइड से बचाव कर सकता है. वहीं, आरओ के पानी का स्वाद बेहतर होता है, क्योंकि इससे स्मेल और गंदगी हट जाती है.
RO के पानी के संभावित नुकसान
RO के पानी की शुद्धता पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन कई रिसर्च में इसके ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले खतरों का जिक्र किया गया है. WHO ने 2019 में कहा था कि जिस पानी में मिनरल्स नहीं होते हैं, उसे लगातार पीना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
खनिजों की कमी (Mineral Deficiency): RO के पानी से कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे जरूरी मिनरल्स हट जाते हैं, जो हड्डियों, हार्ट और मांसपेशियों के लिए जरूरी होते हैं. दिल्ली की न्यूट्रिशियन एक्सपर्ट डॉ. प्रिया वर्मा कहती हैं कि हमें ज्यादातर पोषक तत्व खाने से मिलते हैं, लेकिन पानी में मौजूद मिनरल्स भी जरूरी होते हैं. RO का पानी लगातार पीने से बच्चों में हड्डियों के फ्रैक्चर, गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी और बुजुर्गों में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है.
हार्ट डिजीज का खतरा: कई स्टडी में कम TDS वाले पानी और हार्ट डिजीज के बीच कनेक्शन मिला है. दरअसल, मैग्नीशियम की कमी से हाई ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन अनियमित होने की समस्या हो सकती है.
कमजोर हड्डियां: कैल्शियम की कमी हड्डियों पर असर डाल सकती है. एक स्टडी में सामने आया है कि RO का पानी पीने वाले बच्चों में हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा ज्यादा हो सकता है. वहीं, RO के पानी की थोड़ी अम्लीय प्रकृति (pH 6.0-6.5) पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है. कुछ लोग RO का पानी पीने के बाद एसिड रिफ्लक्स की शिकायत करते हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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