सावन के अंतिम सोमवार को गोरखपुर के झारखंडी महादेव मंदिर में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. शिवभक्त जलाभिषेक करने के लिए भोर से ही मंदिर में कतारबद्ध होकर जलाभिषेक करने पहुँच रहे हैं. झारखंडी महादेव के मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ शिव मंदिर में देखने को मिल रही है.
गोरखपुर के शिव मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ सुबह 4 बजे से ही जलाभिषेक करती नजर आ रही है. जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. गोरखपुर के झारखंडी कालोनी में झारखंडी महादेव का 600 साल पुराना शिव मंदिर है. जहां पर सदियों से भक्तों की भीड़ आस्था विश्वास का जन सैलाब देखने को मिलता है. सावन के महीने ही नहीं, बल्कि हर महीने सोमवार और शनिवार को भक्तों के भीड़ यहां पर पूजा करते आराधना करते देखी जा सकती है.
श्रावण मास के अंतिम सोमवार को उमड़ी भक्तों की भीड़
श्रावण मास का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है. वैदिक गणना एवं ज्योतिष के अनुसार चार अगस्त को एकादसी तिथि सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सोमवार का होगा सनातन धर्मावलम्बि के लिए पूर्ण कामना को देने वाला है. यह सोमवार मनोकामको को पूर्ण करेगा. भगवान शिव का सबसे प्रिय दिन सोमवार है. क्योंकि चंद्रमा का दिन है और चंद्रमा भगवान शिव के ललाट के शिखपर शोभा को प्रदान कर रहे हैं. अत: सोमवार श्रावण मास की शोभा है. अंतिम सोमवार का व्रत रखने और भगवान शिव को तीर्थजल से स्नान कराने से पुण्य की प्राप्ति और सारी मनोकामना पूरी होती है. पूजन मे भोग घतुरा, मंदार, भांग गुमा, गुमापुष्प अर्पित करने के साथ खीर का भोग लगाने शिव भगवान का श्रृंगार करके आरती करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. प्रसाद वितरण और रात्रि में कीर्तन भजन का आयोजन करके उत्सव मनाने से पुण्य मिलता है. अंतिम सोमवार उत्सव, व्रत, तपस्या का दिन है. सोमवार व्रत सौभाग्य में वृद्धि करने वाला और मातृशक्ति के साथ दाम्प्त्य जीवन को सुखमय बनाने वाला है. पति-पत्नी का जीवन सुखद होता है.
नीलम पाण्डेय और दिनेश कुमार बताते हैं कि यहां पर सावन में दर्शन और जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती हैं. भगवान शिव के इस मंदिर में काफी आस्था है. वे वर्षों से यहां दर्शन करने के लिए आ रही हैं. सावन के महीने में यहां काफी भीड़ होती है. सुबह से ही झारखंडी महादेव के दर्शन पूजन के लिए लंबी कतारें लगी होती हैं. झारखंडी महादेव के मंदिर में सभी मुरादें पूरी होती हैं.
600 वर्ष पुराना है गोरखपुर का झारखंडी महादेव शिव मंदिर
झारखंडी महादेव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. गोरखपुर के झारखंडी कालोनी में झारखण्डी महादेव का शिव मंदिर सदियों पुराना है. मान्यता है कि 600 वर्ष पहले एक लकड़हारा वनाच्छादित क्षेत्र में पेड़ की लकड़ी काटने के लिए आया. पेड़ के जड़ की खुदाई करते समय उसकी टांगी एक पत्थर से टकरा गई. टांगी के पत्थर से टकराते ही रक्त की धार निकल पड़ी. लकड़हारा घबराकर गांव में गया और लोगों को इसके बारे में जानकारी दी. वनाच्छादित क्षेत्र में जब गांव के लोग पहुंचे, तो उस स्थान पर दूध चढ़ाया गया. बड़े बुजुर्गों से सुनी विद्यार्थियों को सुनने वाले लोग बताते हैं कि दूध डालते हैं शिवलिंग ऊपर आता गया. वनाच्छादित होने के कारण इस मंदिर का नाम झारखंडी महादेव पड़ गया.
गोरखपुर के झारखंडी कॉलोनी में स्थित झारखंडी महादेव के मंदिर पर सावन के महीने में श्रद्धालुओं और भक्त जनों की भारी भीड़ होती है. मलमास के माह में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है. मान्यता है कि झारखंडी महादेव के दरबार में श्रद्धालु जो भी मुरादे मांगते हैं, वह पूरी हो जाती है. सावन के माह में विशेष तौर पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है. भोर से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए लंबी कतार लगाकर बाबा भोलेनाथ के जयकारे लगाते हैं.
सावन के अंतिम सोमवार को झारखंडी महादेव मंदिर में उमड़ी शिवभक्तों की भीड़, श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक, ये है इतिहास
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