सिखों के धर्मांतरण को रोकने के लिए धार्मिक शिक्षा जरूरी: निज्जर

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | अमृतसर चीफ खालसा दीवान के मुख्यालय में प्रधान डा. इंद्रबीर सिंह निज्जर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान दीवान के पदाधिकारियों व सदस्यों ने यूपी में पीलीभीत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सिख समुदाय के बड़े पैमाने पर हुए धर्मांतरण पर चिंता जताई गई। चीफ खालसा दीवान के अध्यक्ष डॉ. इंद्रबीर सिंह निज्जर ने कहा कि पीलीभीत में सिखों का बलपूर्वक, आर्थिक प्रलोभन देकर, बीमारियों के इलाज के लिए चमत्कार दिखाकर व दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराया जाना सिख धर्म की पहचान एवं अमीर विरासत के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने आज के युग में धर्म परिवर्तन को रोकने तथा सिख पहचान को मजबूत करने के लिए धार्मिक शिक्षा एवं जागरूकता को समय की मुख्य आवश्यकता बताया ताकि गुरबाणी के मूल सिद्धांतों तथा गुरुओं की शिक्षाओं का पालन करके सिख समुदाय को आध्यात्मिक रूप से मजबूत किया जा सके। दीवान पदाधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय सिख धार्मिक संगठनों और संस्थाओं से स्थानीय प्रशासन और सरकारों के साथ संबंध स्थापित करके सिखों को धार्मिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत करने के लिए विशेष कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यूपी सरकार से सिखों को लालच देकर जबरदस्ती धर्मांतरण करने वाले षड्यंत्रकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। इस अवसर पर चीफ खालसा दीवान के उपाध्यक्ष संतोख सिंह सेठी, स्थानीय अध्यक्ष कुलजीत सिंह साहनी, सचिव जसपाल सिंह ढिल्लों, मुख्यालय मैंबर इंचार्ज सदस्य हरविंदर पाल सिंह चुघ, डॉ. आत्मजीत सिंह बसरा, एपीएस. मान, मनप्रीत सिंह, हरमनजीत सिंह, प्रो. सुखबीर सिंह, जसमीत सिंह आदि उपस्थित थे। सिख स्कालर (पीएचडी) डा. रणबीर सिंह ने उतर प्रदेश के पीलीभीत इलाके में 3 हजार से अधिक सिख समुदाय के लोगों द्वारा ईसाई धर्म अपनाने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबधंक कमेटी को जिम्मेदार ठहराया है। डा. रणबीर ने कहा कि यह एसजीपीसी व अन्य सिख संगठनों द्वारा अन्य राज्यों में रह रहे सिखों की उपेक्षा किए जाने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी द्वारा इन इलाकों में सिखी का प्रचार प्रसार करवाना तो दूर, दशकों से इनकी सुध भी नहीं ली जा रही है। इनके आर्थिक हालात इतने बद से बदतर हो चुके हैं कि इनके पास धर्म परिवर्तन कर लेने के अलावा अन्य कोई विकल्प ही नहीं है। ईसाई धर्म अपनाने पर ईसाई धर्म के अनुयायी उनके जीवनयापन से संबंधी समस्त समस्याओं का निवारण करते हैं। जो एसजीपीसी ने कभी भी नहीं करने का प्रयास है। इसलिए उक्त सिख ईसाई धर्म द्वारा दिए गए प्रलोभन में फंस जाते हैं। ऐसे लोगों की आर्थिक सहायता के अलावा ईसाई लोग उनके बच्चों को फ्री शिक्षा व राशन भी प्रदान करते हैं, उन्हें नौकरियां भी दी जाती हैं। जबकि श्री अकालतख्त साहिब के सिंह साहिबानों व एसजीपीसी को आपसी लड़ाई लड़ने से ही फुर्सत नहीं है। आपसी टकराव को खत्म करने की फुर्सत मिलेगी तो ही तख्तों के सिंह साहिबान, ग्रंथी, एसजीपीसी के प्रचारक इस तरफ ध्यान दे सकेंगे।

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