‘सियासी दलों में नहीं दिखी गंभीरता’, बिहार मतदाता सूची पर छिड़े विवाद पर बोला चुनाव आयोग

by Carbonmedia
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बिहार की मतदाता सूची के अपडेशन के काम को लेकर चल रही राजनीति और बयानबाजी लगातार बढ़ती जा रही है. इसी सिलसिले में इंडिया गठबंधन से जुड़े हुए अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय चुनाव आयोग से मुलाकात की. बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक सौहार्द पूर्ण माहौल में नहीं हुई और अगर इसी तरह से चुनाव आयोग की प्रक्रिया से मतदाताओं के नाम काटने का सिलसिला चलता रहा तो आने वाले दिनों में आंदोलन सड़क पर भी उतरेगा. 
विपक्ष के इन आरोपों की तरफ से चुनाव आयोग का भी पक्ष सामने आ गया है. चुनाव आयोग का कहना है बिहार के एसआईआर पर बैठक के लिए पहुंची राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों में गंभीरता की कमी देखी गयी.
चुनाव आयोग ने क्या बताया?चुनाव आयोग की तरफ से सामने आई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बैठक में 10 राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले कुछ वकीलों की तरफ से 30 जून 2025 को एक ई-मेल प्राप्त हुआ, जिसमें सभी 10 राजनीतिक दलों को 2 जुलाई 2025 को शाम 4 बजे के बाद किसी भी समय बिहार में चल रहे एसआईआर पर चर्चा करने के लिए तत्काल समय देने के लिए कहा गया. 
इन राजनीतिक दलों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – शरदचंद्र पवार, झारखंड मुक्ति मोर्चा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) मुक्ति और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शामिल थे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने तुरंत सभी 10 राजनीतिक दलों के प्रमुखों को 30 जून 2025 को बैठक के लिए आमंत्रित किया. जून 2025 को ही आयोग को एक अधिकृत प्रतिनिधि के साथ 2 जुलाई 2025 को शाम 5 बजे मिलने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन 2 जुलाई को चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक में केवल 2 राजनीतिक दलों के प्रमुख सीपीआई और सीएलआई (एमएल) एल शामिल हुए.
वहीं बैठक में शामिल होने वाले कुल 14 व्यक्तियों में से 5 अन्य व्यक्ति अपने-अपने राजनीतिक दलों के प्रमुखों द्वारा अधिकृत थे, यानी आरजेडी – 2, सीपीआई (एम) -1 और सीपीआई (एमएल) एल -1। जबकि  7 लोग जो बैठक के लिए पहुंचे थे उन्हें अपने-अपने राजनीतिक दलों के प्रमुखों द्वारा अधिकृत भी नहीं किया गया था.
विपक्ष ने क्या आरोप लगाए ?इससे पहले 2 जुलाई को आयोग के साथ हुई बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा था कि चुनाव आयोग के पास इस बात का जवाब नहीं था कि आखिर वोटर लिस्ट के अपडेशन और नवीनीकरण की प्रक्रिया चुनाव शुरू होने के 3-4 महीने पहले क्यों की गई. अगर चुनाव आयोग को यह प्रक्रिया करनी थी तो फिर पहले क्यों नहीं की गई.
बैठक में शामिल हुए राजनीतिक प्रतिनिधियों ने यहां तक कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग के साथ हुई ये बैठक बिल्कुल भी सौहाद्रपूर्ण नहीं कहीं जा सकती, क्योंकि चुनाव आयोग के पास उनके सवालों का जवाब नहीं था. फिर भी चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को पूरी तरह से सही बताने की कवायद में लगा रहा. साथ ही इसी दौरान ये ऐलान भी कर दिया कि जिस तरह से वोटर लिस्ट से बिहार के मतदाताओं का नाम काटने की साज़िश चल रही है आने वाले दिनों में यह सैलाब सड़कों पर भी नजर आएगा.
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