सिरसा के 25 गांवों में एक सदी से नाव आसरा:सड़क-शिक्षा से वंचित, छात्राओं ने खून से CM को लिखा पत्र, अब पुल बन रहा

by Carbonmedia
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सिरसा जिले के 25 गांव आज भी बुनियादी विकास से वंचित हैं, जहां लोग एक सदी से ज्यादा वक्त से रोज जिंदगी का जोखिम उठाकर घग्गर नदी पार करते हैं। इन गांवों के लिए अब तक कोई पुल नहीं बन पाया, जिस वजह से लोग एक छोटी सी नाव (किश्ती) के सहारे आवाजाही करते हैं। बरसात के मौसम में घग्गर उफान पर होती है, जिससे स्कूल बंद हो जाते हैं और आपात स्थिति में सिरसा पहुंचना नामुमकिन सा हो जाता है। न सड़क, न शिक्षा, न स्वास्थ्य—सरकारी अनदेखी ने इन गांवों को विकास से कोसों दूर कर दिया है। हालांकि अब फरवाई और बुढाभाण के बीच पुल का निर्माण शुरू हुआ है, जिससे वर्षों से उपेक्षित इन गांवों को सिरसा और पंजाब से सीधी कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद जगी है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, रोजाना 300 से 400 लोग नाव से नदी पार करते हैं। नाव से खुद तो आ सकते हैं, लेकिन भारी-भरकम सामान या वाहन लेकर नहीं आ-जा सकते। गांव के युवाओं ने जुगाड़-नुमा ट्रक की चैसीज को जोड़कर नदी में लगाया है, जिससे दुपहिया वाहन व पैदल आते-जाते हैं। जो भी तीन फीट पानी तक कामयाब है। ज्यादा पानी होने पर उसे हटा देते हैं। इस समय घग्गर में 8 से 10 फीट पानी है। छात्राओं ने खून से CM को लिखा था पत्र बुढाभाणा गांव के चांदीराम, नदलाल, अशोक, संगीता ने कहा कि घग्गर नदी में बरसाती सीजन में पानी अधिक हो जाता है और कई बार बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में सबसे अधिक परेशानी विद्यार्थियों को होती है और स्कूल नहीं जा पाते। 1-2 माह तक स्कूल न जाने से पढ़ाई प्रभावित होती थी। छात्र तो दूसरे रास्ते से आ जाते, पर छात्राओं का स्कूल बिल्कुल बंद हो जाता। दिसंबर 2016 में बुढाभाणा गांव की छात्राओं ने अपने खून से हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल को पत्र लिखा था और पुल बनाने की मांग की थी। 50 सालों से पुल की मांग, 2025 में शुरू हुआ निर्माण जानकारी के मुताबिक, 50 सालों से 20 से अधिक गांवों के लोग पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। दो दर्जन ग्राम पंचायतों ने बाकायदा पुल निर्माण के लिए रेगुलेशन पास किए। अक्टूबर 2021 में पंचायतों ने पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को गांव बुढाभाणा में दौरे पर प्रस्ताव सौंपा। अप्रैल 2023 में इस मांग को दुष्यंत ने स्वीकृत करवाया। टेक्निकल टीम के सर्वे के बाद अप्रैल 2024 में 8.21 करोड़ रुपए से टेंडर हुआ और अप्रैल 2025 में काम शुरू हुआ। पुल न बनने से 20 किमी घूमकर जाते हैं सिरसा ग्रामीणों ने कहा कि सिरसा आने के लिए बप्पा, नेजा डेला, साहनी, खैरकां से होते हुए जाना पड़ता है। इस रूट की दूरी करीब 25 किलोमीटर तक है। पुल न बनने से ग्रामीण इसी रूट से लंबी दूर तय कर आने-जाने को मजबूर है। ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान होता है और समय बर्बाद होता है। सिरसा आने में ही करीब 45 से 50 मिनट का समय लगता है, जबकि बुढ़ाभाणा की दूरी सिरसा से मात्र 7 किलोमीटर है और 10 से 12 मिनट का रास्ता है। 1962 में बुढाभाणा गांव में आई थी पहली नाव उन्होंने कहा कि साल 1962 में बुढाभाणा गांव के प्यारेलाल नदी पर पहली नाव लेकर आए थे और खुद ही चलाते थे। लोगों को नदी पार करना आसान हो गया। अब कुछ सालों से जिला प्रशासन नाव मुहैया करवा रहा है। उस नाव को कुछ लोग चलाते हैं। नदी पार कराने को 5-5 रुपए प्रति सवारी लेते हैं। पुल न होने से बुढाभाणा से फरवाई गांव आकर बसे जेबीटी टीचर विक्रम सिंह ने बताया कि उनका गांव बुढाभाणा है। नदी पर पुल न होने के चलते वह बुढाभाणा से फरवाई गांव में आकर बस गए, क्योंकि हर रोज सिरसा आना होता था। अब उनकी ड्यूटी बुढाभाणा के स्कूल में आ गई है, तो हर रोज फरवाई गांव से नाव से नदी पार कर बुढाभाणा जाना पड़ता है। 1947 में लोग ऐसे करते थे नदी पार ग्रामीणों के मुताबिक, अगर आजादी के समय की बात करें तो 1947 में लोगों ने एक लोहे का कड़ाहां बना रखा था, उसी से नदी पार करते थे। वो काफी रिस्की था। मगर, लोगों की मजबूरियां थी। उस समय नदी पर कोई पुल भी नहीं था। साल 2004 में गांव मल्लेवाला में डेरा बाबा भूम्मण शाह के गद्दीनशीन रहे बाबा सेवा दास ने ग्रामीणों के सहयोग से करीब ढ़ाई करोड़ रुपए की लागत से नदी पर पहला पुल बनाया। इन 25 गांवों को अब मिलेगी राहत चांदीराम, नदलाल, अशोक ने कहा कि गांव बुढ़ाभाणा, किराडकोट, फरवाई खुर्द, फरवाईं कलां, नागोकी, अलीकां, बुर्जकर्मगढ़, मुसाहिबवाला, बप्प, ढाबा, सवाईपुर, वैदवाला, सिकंदरपुर, भरोखां, नेजाडेला सहित 25 गांव है, जिनको परेशानी होती थी। अब पुल के बनने से राहत मिलेगी। सिरसा में घग्गर की एंट्री और एक्जिट सिरसा जिले में घग्गर नदी की लंबाई करीब 40 किलोमीटर से अधिक है। जहां से सिरसा में पंजाब के सरदूलगढ से घग्गर की एंट्री होती है। वहां बरनाला रोड से एक तरफ मुसाहिबवाला और दूसरी तरफ रंगा गांव लगता है। गांव बणी से राजस्थान में एंट्री करती है। इसके तटबंध पर करीब 49 गांव बसे हुए हैं। 49 गांव तटबंध पर बसे जानकारी के मुताबिक, कालांवाली उप मंडल के गांव मत्तड़, लहंगेवाला व रंगा, उप मंडल सिरसा के गांव नागोकी, किराडकोट, बुढाभाणा, मल्लेवाला, नेजाडेला खुर्द, सहारणी, खैरेकां, बनसुधार, चामल, झोरडऩाली, मुसाहिबवाला, पनिहारी, बुर्ज कर्मगढ, फरवाई कलां, नेजाडेला कलां, झोपड़ा, मीरपुर, अहमदपुर, केलनियां, अलानुर, चकेरियां। उपमंडल ऐलनाबाद के गांव धनूर, अबूतगढ, ओटू, फिरोजाबाद, नगराणा थेड़, ढाणी सतनाम सिंह, ढाणी आसा सिंह, मोहर सिंह थेड़, नागोकी, जीवन नगर, हारणी, करीवाला, ढाणी शहीदांवाली, ढाणी प्रताप सिंह, गिदड़ांवाली, कुत्ताबढ, रत्ताखेड़ा, शेखुखेड़ा, पट्टा कृपाल, मौजुखेड़ा, बुढीमेड़ी, अमृतसर, दया सिंह थेहड़, ठोबरियां, तलवाड़ा खुर्द शामिल हैं।

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