भास्कर न्यूज | जींद जयंती देवी मंदिर में पांचवें दिन प्रभु श्रीराम-माता सीता के विवाह की कथा सुनकर श्रद्धालु खुशी से झूम उठे। श्रीराम की जय-जयकार से मंदिर गूंज उठा। जयंती देवी मंदिर में सायं 4 से 7 बजे तक हरिद्वार के स्वामी विज्ञानंद सरस्वती महाराज ने कथा वाचन कर श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीराम-माता सीता के विवाह का प्रसंग सुनाया। श्रीराम कथा के बाद श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। श्रीराम कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जयंती देवी मंदिर में उमड़ी। कथा वाचक स्वामी विज्ञानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीराम के गुरु विश्वामित्र को संदेश मिला कि राजा जनक के महल में एक शिव धनुष है। जो सीता माता ने उठा लिया था। जब यह बात राजा जनक को पता चली तो उन्होंने राजाओं को संदेश दिया कि जो भी राजा इस धनुष को उठा लेगा। उसी से सीता का विवाह होगा। यह सुनकर स्वयंवर में राजाओं ने धनुष को उठाने का प्रयास किया लेकिन बार-बार कोशिश के बाद भी किसी को कोई सफलता नहीं मिली। यह सुनकर विश्वामित्र अपने शिष्य भगवान श्रीराम के साथ स्वयंवर में पहुंचे। भगवान श्रीराम ने अपने गुरु विश्वामित्र का आदेश पाकर धनुष को उठाकर तोड़ दिया। पंडाल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। सीता माता ने भगवान श्रीराम के गले में वरमाला डाल दी। श्री राम कथा सुनकर श्रद्धालुओं ने श्रीराम-सीता माता के जयकारे लगाकर पंडाल को गूंजायमान किया। भगवान श्रीराम के विवाह के उत्सव में श्रद्धालु झूमने लगे। श्रद्धालु मनीष, दीपक, कुलदीप, ललिता, जसविंद्र, पूनम, शर्मिला ने बताया कि श्रीराम कथा के श्रवण से जीवन में उन्होंने परिवर्तन को महसूस किया। प्रभु राम के आशीर्वाद से श्रद्धालुओं के बिगड़े काम बनने लगते हैं। घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि श्रीराम कथा के श्रवण से श्रद्धालुओं की सुख, शांति, समृद्धि की कामनाएं पूरी होती हैं। भगवान राम की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा के संचार से शारीरिक, मानसिक कष्ट दूर होने लगते हैं।
सीता स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र के आदेश पर श्रीराम ने धनुष तोड़ा
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